केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने पर विपक्षी दलों तृणमूल कांग्रेस और माकपा ने रविवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और पूछा कि वह संसद सत्र तक इंतजार क्यों नहीं कर सकती. सरकार ने रविवार को दो अध्यादेश जारी किए, जिनके अनुसार सीबीआई और ईडी के निदेशकों का कार्यकाल मौजूदा दो वर्ष की जगह अब अधिकतम पांच साल तक हो सकता है. संसद सत्र 29 नवंबर से शुरू होगा.
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘‘केंद्र ने छानबीन से बचने के लिए रविवार को सीबीआई और ईडी निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए अध्यादेश जारी कर दिए. इतनी हड़बड़ी से कुछ गड़बड़ लगता है.’’
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि संसद का ‘मजाक उड़ाने’ के लिए अध्यादेश लाये गये हैं. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मोदी-शाह की भाजपा किस तरह संसद का मजाक उड़ाती है और बेशर्मी से अध्यादेशों का इस्तेमाल करती है. ईडी और सीबीआई में उनके पालतू तोतों को रखने के लिए आज यही नाटक दोहराया गया.’’ उन्होंने सरकार द्वारा इसी तरह पहले लाये जा चुके कुछ अध्यादेशों का चार्ट भी डाला.
Parliament session begins on 29th.
To avoid its scrutiny, Centre on Sunday promulgates ordinances to extend the tenure of Directors of CBI and ED.
This desperate hurry smacks of something fishy. pic.twitter.com/X309ODjqAL— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) November 14, 2021
दरअसल, विनीत नारायण के प्रसिद्ध मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मद्देनजर सीबीआई और ईडी के निदेशकों की नियुक्ति की तारीख से उनका दो साल का निश्चित कार्यकाल होता है. केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अध्यादेश को 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी और मौजूदा प्रवर्तन निदेशालय प्रमुख एस के मिश्रा की सेवानिवृत्ति से महज तीन दिन पहले जारी किया गया है. सरकार ने उनका दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद 2020 में एक और सेवा विस्तार दिया था.
इस मामले में इस साल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जिसने सेवा विस्तार को रद्द नहीं किया, लेकिन सरकार से मिश्रा को 17 नवंबर के बाद और सेवा विस्तार नहीं देने को कहा. हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि अध्यादेश लागू होने के बाद देखना होगा कि मिश्रा ईडी प्रमुख के रूप में काम करते रहेंगे या नहीं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा जारी अध्यादेश जो ‘‘एक बार में’’ लागू होता है, में कहा गया है: ‘‘बशर्ते जिस अवधि के लिए प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक अपनी प्रारंभिक नियुक्ति पर पद धारण करते हैं, उसे सार्वजनिक हित में, खंड (ए) के तहत समिति की सिफारिश पर तथा लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए, एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है. बशर्ते कि प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लिखित अवधि सहित कुल मिलाकर पांच साल की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई विस्तार प्रदान नहीं किया जाएगा’’ सीबीआई के निदेशक का चयन प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति की सिफारिश के आधार पर होता है.
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