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खबरों की खबर: न कोई न्योता, न वार्ता…सीधे कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान, मोदी के सरप्राइज से कांग्रेस और टिकैत चित्त

नई दिल्ली। शुक्रवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित कर रहे थे तो लोगों को उम्मीद थी कि वो गुरु नानकदेव जी के प्रकाश पर्व, कोरोना से बचाव या भारत चीन सीमा विवाद जैसे मामलों में कुछ कहेंगे लेकिन, पीएम ने सीधे सीधे कृषि कानून की वापसी का सरप्राइज देकर सभी को चौंका दिया।

बता दें कि प्रकाश पर्व के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने अचानक देश के नाम संबोधन में तीन नए कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान कर दिया। भले ही इसका श्रेय किसान आंदोलन के नेता और विपक्ष लेने की कोशिश कर रहा है, लेकिन असर में पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद ही सरप्राइज देकर उनसे यह मौका छीन लिया है। अब राकेश टिकैत समेत कई नेता अकसर यह बात दोहरा रहे थे कि बातचीत एक ही शर्त होगी कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाए।

एकतरफा ऐलान कर किसान नेताओं को श्रेय लेने से रोका

यदि सरकार बातचीत के बाद किसान नेताओं के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐसा कोई ऐलान करती तो उन्हें भी इसका श्रेय मिलता और फिर चुनावी राजनीति में भी इसका असर दिख सकता था। ऐसा कुछ करने की बजाय पीएम नरेंद्र मोदी ने एकतरफा ऐलान करते हुए कानूनों की वापसी का ऐलान कर दिया और देशवासियों से क्षमा भी मांगी।

सभी किसानों से घरों की वापसी की अपील करते हुए पीएम मोदी ने संकेत दिया कि वह नेताओं से नहीं बल्कि सीधे किसानों से ही संवाद करना चाहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने अब गेंद किसान नेताओं के पाले में ही डाल दी है।

आखिर वे क्यों नहीं लौटना चाह रहे

पीएम के कानून वापसी के ऐलान और किसानों से घर वापसी की अपील के बाद भी टिकैत यह रवैया किसान नेताओं के बीच मतभेद पैदा कर सकता है। खुद ही तीन कानूनों की वापसी तक डटे रहने की बात करने वाले टिकैत से अब यह सवाल पूछा जा सकता है कि आखिर वे क्यों नहीं लौटना चाह रहे? पीएम मोदी के इस दांव से राकेश टिकैत समेत तमाम किसान नेता चुनाव में भाजपा विरोध के नारे के साथ नहीं जा सकेंगे।

मुद्दे पर हवा बांधना नहीं होगा आसान

बता दें कि हरियाणा, पंजाब और पश्चिम यूपी के कई इलाकों में किसान आंदोलनकारी खुले तौर पर भाजपा के खिलाफ उतर आए थे और नेताओं को बंधक तक बनाए जाने की घटनाएं सामने आई थीं।

अब किसान नेता भाजपा के खिलाफ यूं खुलकर प्रचार नहीं कर सकेंगे और विपक्षी दलों के हाथ से भी बड़ा मुद्दा छिन गया है। चुनाव से ठीक पहले विपक्ष के लिए अब इस मुद्दे पर हवा बांधना आसान नहीं होगा और दूसरा कोई अहम मुद्दा सरकार के खिलाफ फिलहाल नजर नहीं आता है।

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