संजय के. दीक्षित
तरकश, 4 सितंबर 2022
सरकारी ऑफिसों में विषकन्याएं जिस तरह मंडरा रही हैं, उससे देखकर लगता है रायपुर में इंदौर हनी ट्रेप कांड जैसा कुछ न हो जाए। दरअसल, खबरें कई तरह की चल रहीं हैं। दिल्ली की एक हनी ने एक युवा आईएएस अधिकारी को ट्रेप कर लिया है…अब वो आईएएस को जैसा चाह रही, वैसा नचा रही है। यही नहीं…एक शरीफ छबि के आईएफएस दो विषकन्याओं की चिकनी-चुपड़ी बातों में फंस गए…और, 27 लाख का प्रोजेक्ट सेंक्शन कर दिया। एक आईपीएस घर से दूर घर जैसा फिलिंग के लिए बढियां एक लग्जरी फ्लैट किराये पर ले लिए हैं। तो सूबे के एक युवा कलेक्टर एक हनी के जाल में फंसकर डीएमएफ से सप्लाई का एकतरफा आदेश दे रहे हैं। राजधानी रायपुर पोस्टेड एक युवा आईएएस के जिस तरह के क्रियाकलाप हैं, कभी भी मुश्किलों में फंस सकते हैं। दरअसल, कन्याओं के जरिये ये काम हथियार बेचने या इसी तरह बड़ा काम करने वाली कंपनियां करती थीं। मगर अब लोकल पार्टियां भी इस नुख्से को समझ गई हैं….अफसरों से काम कैसे निकलेगा। वैसे, ये चीज ही ऐसी है, अच्छे भले, संस्कारी अफसर भी खुद को संभाल नहीं पाते…तो लंगोट के ढीले अधिकारियों को क्या कहें। समझा जा सकता है कि सारी सुख-सुविधाओं के बावजूद अफसरों की पत्नियां बेचारी दुखी क्यों रहती हैं। बहरहाल, सरकार के खुफिया तंत्र को इस पर नजर रखनी चाहिए…विषकन्याओं के फेर में आखिर कुछ बुरा हुआ तो नाम प्रदेश का भी खराब होगा।
अजब अफसर, गजब बोल
वीआईपी रोड के बड़े होटल में एक बोर्ड की सफलता को लेकर जश्न का आयोजन किया गया। इसमें बोर्ड से जुड़े ठेकेदारों, सप्लायरों को भी बुलाया गया था….अच्छे काम करने वाले कुछ लोगों को सम्मानित भी किया गया। सेलिब्रेशन का सबसे बड़ा क्लास, एक सीनियर आईएफएस का स्पीच रहा। उन्होंने सफलता की तुलना टॉयलेट से कर दी। बोले, सफलता टॉयलेट की तरह होती है, जो अपने को बुरा नहीं, लेकिन दूसरा करें तो बुरा लगता है। चूकि, शाम हो गई थीं, महफिल भी जवां…, सो लोगों ने भी मजे लेने में कोई कोताही नहीं की। वाह-वाह करते हुए वन्स मोर-वन्स मोर…हुआ। आईएफएस भी पूरे मूड मेकं थे….उन्हांने उसे फिर दोहराने में कोई हिचक नहीं दिखाई। सेलिब्रेशन हॉल में इसको लेकर लोग चटखारे लेते रहे…साहब ने आज कौन सा लिया है।
खफा-खफा से…
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से हटाने के बाद विष्णुदेव साय पार्टी के कार्यक्रमों में नजर नहीं आ रहे हैं। भाजयुमो के सीएम हाउस घेराव कार्यक्रम में प्रदेश प्रभारी पुरंदेश्वरी से लेकर तमाम नेताओं की मौजूदगी रही, मगर विष्णु देव नहीं थे। यहां तक कि पार्टी के कद्दावर नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रायपुर आए, उस दौरान भी लोगों की निगाहें विष्णु देव साय को ढूंढती रही। इन दोनों कार्यक्रमों के दौरान वे अपने गृह ग्राम में थे। वैसे तो विष्णु देव साय शांत और सौम्य स्वभाव के नेता माने जाते हैं। 9 अगस्त को उन्हें हटाया गया, तब भी उन्होंने विनम्रता से मीडिया के सवालों का जवाब दिया और इस बदलारव को सहजता से स्वीकार किया। लेकिन, पार्टी के नेता भी मानते हैं नेताजी खफा तो हैं। दावे ये भी किए जा रहे कि आदिवासी नेताओं की बैठकें हो रही हैं। जाहिर है, पार्टी के प्रदेश के सबसे बड़े आदिवासी लीडर नंदकुमार साय अरसे से असंतुष्ट चल रहे हैं। गाहे-बगो असंतुष्टि को झलकने वाले उनके बयान भी आ जाते हैं। वैसे, बीजेपी के बड़े नेताओं को सनद रहे…हाल में हुए बदलाव से बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, शिवरतन शर्मा जैसे नेता भी बहुत खुश नहीं हैं। विधानसभा में सबसे उम्दा प्रदर्शन करने के बाद भी अजय को मुख्य प्रवक्ता बनाकर सफाई से किनारे कर दिया गया। अब देखना होगा, असंतुष्ट नेताओं को बीजेपी किस तरह साधने की कोशिश करती है।
भीम की गदा
स्वास्थ्य विभाग में प्रसन्ना आर. को सचिव और भीम सिंह को डायरेक्टर बनाया गया है। प्रसन्ना 2004 बैच के आईएएस हैं और भीम 2008 के। प्रसन्ना और भीम में समानता ये है कि दोनों अंबिकापुर के कलेक्टर रह चुके हैं। वैसे, हेल्थ सिकरेट्री के लिए प्रसन्ना का नाम पहले से लगभग फायनल हो गया था, मगर डायरेक्टर के लिए कश्मकश की स्थिति रही। कई नामों की चर्चा चली। लेकिन, आखिरी में भीम सिंह पिक्चर में आए और उनके नाम पर मुहर लग गई। प्रसन्ना ने हेल्थ की कमान संभालते हुए कामकाज प्रारंभ कर दिया है। ज्वाईन करने के अगले दिन उन्होंने सीजीएमसी का विजिट किया तो 6 सितंबर को डीन, एमएस की अहम मीटिंग कॉल किया है। प्रसन्ना चूकि पहले भी हेल्थ में रहे हैं, इसलिए कामकाज को समझते हैं। भीम पहली बार हेल्थ में आए हैं और उनकी डील-डौल भी कुछ ऐसी है कि हेल्थ वालों को भय सताने लगा है, कहीं वे गदा न चलाने लगे।
शुरुआत मंत्री के इलाके से
राजधानी पुलिस की मीटिंग में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने इलाके वार सटोरियों और अपराधियों की लिस्ट अधिकारियों को सौंप दी थी। अब रायपुर में इस पर कार्रवाई शुरू हुई या…पता नहीं। लेकिन, गृह मंत्री के इलाके में जरूर पुलिस एक्शन में आ गई है। गृह मंत्री का विधानसभा दुर्ग के रिसाली थाने में आता है। उनके इलाके में पुलिस ने दर्जन भर सटोरिये और अपराधियों को पकड़कर जेल भेज दिया है। इसका मतलब ये हुआ कि पुलिस अपने गृह मंत्री के इलाके से सफाई कार्य शुरू करना चाहती है। चलिये, उम्मीद रखी जाए बाकी जिलो की पुलिस भी सरकार और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करेगी।
कहां गई वो पुलिस…
स्कूल और कॉलेज के दिनों का याद होगा….उस समय रात में कोई बेमतलब घूमता नहीं था और रेलवे स्टेशन गए तो फिर चौक-चौराहों पर पुलिस रोककर तस्दीक करती थी। कई बार ट्रेेन की टिकिट दिखानी पड़ती थी। पुलिस अश्वस्त हो गई…बंदा ठीक है तो छोड़ दिया वरना, कई बार रात भर थाने में बिठा लिया जाता था। अब वो दिन भी नहीं रहा और वो पुलिस भी नहीं रही। पुलिस सिस्टम में सबसे बड़ी ढिलाई ये आई है कि रात की गश्त बंद हो गई है। पहले एसपी तक हफ्ते में दो-से-तीन रात पुलिस प्वांट पर धमक जाते थे। सीएसपी, टीआई और सिपाही सुबह चार बजे से पहले घर नहीं लौटते थे। अब पुलिस बड़ी उदार हो गई है। तीन सवारी जा रहा तो जाने दो, हेलमेट नहीं पहना तो क्यों रोकना। झारखंड जैसे स्टेट में स्कूटर में पीछे बैठने वाला व्यक्ति भी बिना हेलमेट साहस नहीं करता। हालांकि, पूरा दोष पुलिस को नहीं दिया जा सकता। ठीक है, पुलिस की प्राथमिकताएं बदल गई हैं….आईएएस और खासकर कलेक्टरों की डीएमएफ में अर्निंग देखकर उनका दिमाग भी चौंधियाता है….आखिर वे भी इसी समाज के आदमी है। मगर यह भी सौ फीसदी सही है कि पुलिस अगर एक अपराधी को पकड़ती है, तो मिनटों में फोन घनघनाने लगता है। अब पुलिस वाले अपनी नौकरी बचाएं या फिर कानून की रक्षा करें। राजनेताओं ने पुलिस को इतना निरीह कर दिया है कि पुलिस पर हाथ-लाठी चलने लगे। चाहे भाजपा का समय हो या कांग्रेस का, छत्तीसगढ़ पुलिस हमेशा टारगेट में रही। अब जरूरत है, पुलिस को अपना रुतबा दिखाने की।
तीन बिग विकेट
सितंबर महीना छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी के लिए अहम रहेगा। इस महीने तीन बड़े अधिकारी रिटायर होंगे। इनमें छत्तीसगढ़ के सबसे सीनियर आईएएस बीवीआर सुब्रमणियम पहले नम्बर पर हैं। 87 बैच के आईएएस अधिकारी सुब्रमणियम भारत सरकार में सिकरेट्री हैं। वे 30 सितंबर को रिटायर होंगे। हालांकि, सुब्रमणियम दिल्ली की सत्ता में बेहद प्रभावशील माने जाते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सचिवालय में लंबे समय तक काम करने के बाद भी मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ से बुलाकर जम्मू-कश्मीर का चीफ सिकरेट्री अपाइंट कर दिया था। और, उसके बाद वे केंद्र में सिकरेट्री बन गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी वे कुछ समय तक काम कर चुके हैं। सो, उन्हें एक्सटेंशन मिल जाए या किसी और पद पर ताजपोशी हो जाए, तो अचरज नहीं। उधर, 88 बैच के आईपीएस मुकेश गुप्ता भी इसी महीने रिटायर होंगे। तो पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी तीन साल की पारी खेल कर लौटेंगे। राकेश की पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग की चर्चा है।
ईएल का सवाल
कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने तीसरे और चौथे चरण को मिलाकर कुल 17 दिन हड़ताल किया। इसमें बड़ा नुकसान उनकी छुट्टियों का हुआ। अब 17 दिन उनके ईएल में एडजस्ट किया जाएगा। साथ ही बीच में कई लोकल और सावर्जनिक अवकाश भी रहा, वो भी उनकी छुट्टियों में ऐड हो गया। और ये भी…हड़बड़ी में फेडरेशन ने हड़ताल वापिस लिया, उसके पीछे भी तीन छुट्टियों का सवाल था। फेडरेशन ने शुक्रवार को हड़ताल वापसी का ऐलान किया। इसके बाद शनिवार और रविवार अवकाश है। और सोमवार को अगर हड़ताल वापसी होती तो मंगलवार को कर्मचारी काम पर लौटते। इस चक्कर में सोमवार के साथ शनिवार और रविवार भी हड़ताल में ऐड हो जाता। याने फिर 20 दिन का ईएल खराब होता। चलिये, सरकार और कर्मचारियों दोनों के लिए अच्छा हुआ, गतिरोध खतम तो हुआ।
अंत में दो सवाल आपसे
1. रात 10 बजे के बाद डीजे नहीं बजेगा, ये आदेश सिर्फ औपचारिकता है या प्रशासन और पुलिस इस पर कोई कार्रवाई करेगी?
2. क्या ये सही है कि विधानसभा चुनाव लड़ने वाले भाजपा के संभावित दावेदारों की दिल्ली की एक एजेंसी द्वारा कुंडली तैयार की जा रही है?