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डीएमएफ का डंप – 2 : ऊर्जा नगरी में करोड़ों का बना दिया मल्टीलेवल पार्किंग, मगर किस काम का..?

कोरबा। DMF के पैसे के हो रहे दुरूपयोग की अगली कड़ी में हम बताने जा रहे हैं कोरबा शहर में बनाये गए मल्टीलेवल पार्किंग की, जिसे बना तो दिया गया है मगर आधा-अधूरा, और अब जिम्मेदार अधिकारियों को यह समझ ही नहीं आ रहा है कि इस विशालकाय स्ट्रक्चर का आखिर किस कार्य में इस्तेमाल करें।

कोयले की प्रचुर मात्रा के चलते कोरबा में बड़ी संख्या में बिजली के कारखाने बन गए, इसलिए इस शहर को ऊर्जा नगरी भी कहा जाता है। यहां की आबादी इतनी भी नहीं है कि शहर में एक विशालकाय पार्किंग बनाने की जरुरत पड़े। यह सच है कि दीपावली के मौके पर यहां केवल 10 दिनों तक शहर के पावर हाउस रोड पर जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है, मगर उसके बाद स्थिति जस की तस हो जाती है। ऐसे में प्रदेश की राजधानी रायपुर में बनाये गए मल्टीलेबल पार्किंग से भी बड़ा पार्किंग कोरबा शहर में बना दिया गया, और वह भी DMF यानि जिला खनिज न्यास के पैसे से।

दूरदर्शिता या अदूरदर्शिता..?

कोरबा जिले में जिस तरह 150 करोड़ की लागत से एजुकेशन हब का निर्माण तात्कालिक लाभ को देखते हुए कर दिया गया, वैसा ही कुछ मल्टीलेबल पार्किंगके निर्माण में भी किया गया। इसके लिए DMF के मद से लगभग 33.55 करोड़ रूपये स्वीकृत किये गए और इसके लिए सिंचाई विभाग की जमीन को बिना अधिग्रहित किये निर्माण शुरू कर दिया गया, सिंचाई विभाग ने जब आपत्ति की तो निगम ने जमीन हस्तांतरण के लिए आवेदन लगा दिया, लेकिन अब तक अनुमति नहीं मिली और स्ट्रक्चर खड़ा भी हो गया।

नहर के किनारे निर्माण कार्य होता है प्रतिबंधित

नियम के मुताबिक सिंचाई के पानी के लिए बनाये गए नहर के किनारे किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य प्रतिबंधित होता है, क्योंकि इससे नहर के क्षतिग्रस्त होने का खतरा होता है। इससे अलग कोरबा शहर में तो कई स्थानों पर नहर से लगी हुई जमीनों पर बेजा कब्जे में बस्तियां बस गयीं और नगर निगम भी इसमें पीछे नहीं रहा। उसने तो नहर से चंद कदम की दूरी पर बिना अनुमति के विशालकाय पार्किंग का स्ट्रक्चर खड़ा कर दिया। निगम ने इसके लिए सिंचाई विभाग से NOC लेने की जरुरत भी नहीं समझी।

वाहन पार्किंग की ये है क्षमता

मल्टीलेवल पार्किंग में 200 कार व 1000 बाइक को रखने की क्षमता है। मगर वास्तव में इतने बड़े पार्किंग की यहां जरुरत ही नहीं थी। यहां अधिकांश लोग वाहन से सीधे मार्केट तक पहुंचते हैं। केवल त्योहारों के मौके पर ही यहाँ भीड़ रहती है, और अब तक निगम प्रशासन पार्किंग निर्माण स्थल के पास ही दीवाली के मौके पर वाहन पार्किंग करने का इंतजाम करता है। हालांकि इस वक्त भी यह पार्किंग खाली रहता है। ऐसे में इतने बड़े मल्टीलेबल पार्किंग के निर्माण की आखिर जरुरत ही क्या थी।

जिम्मेदार अधिकार कुछ भी कहने से बच रहे…

कोरबा शहर में इतने बड़े मल्टीलेबल पार्किंग का केवल स्ट्रक्चर खड़ा किया गया है, मगर इसकी फिनिशिंग नहीं की गयी है, ठेकेदार ने इसका काम अधूरा क्यों छोड़ दिया है, अधिकारी इसके बारे में बताने की बजाय एक दूसरे पर टाल रहे हैं। इस कार्य में DMF का पैसा लगा और इसकी निर्माण एजेंसी नगर निगम कोरबा को बनाया गया था। करोड़ों के इस निर्माण कार्य के पीछे तब के जिम्मेदार अधिकारियों और नेताओं की क्या मंशा थी इसे अच्छी तरह समझा जा सकता है।

इस्तेमाल के लिए सिर्फ बन रही है प्लानिंग

यह मल्टीलेवल पार्किंग दो हिस्से में बना है। एक में कार तो दूसरे में बाइक रखने के लिए योजना थी। लेकिन यहां पार्किंग की योजना लगभग फेल होती नजर आ रही है। पूर्व में एक हिस्से में महिला अस्पताल खोलने का प्रस्ताव सांसद ज्योत्सना महंत ने दिया था, मगर साल भर बाद भी यह योजना मूर्तरूप नहीं ले सकी है। बीच में यह योजना भी बनी कि यहां छत्तीसगढ़िया शॉपिंग मॉल बनाया जाये, मगर सारी योजनाए धरी की धरी रह गई हैं और इतना बड़ा स्ट्रक्चर प्रशासन को मुंह चिढ़ा रहा है।

कुल मिलाकर DMF की मूल आत्मा के विपरीत जो भी निर्माण कार्य किये गए उनका कोई भी औचित्य नजर नहीं आ रहा है। बेवजह करोड़ों रूपये खर्च कर दिए गए और इसका अब आम लोगों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। दरअसल कोयला खनन के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावितों में खदान के आसपास के इलाकों के साथ ही पूरे जिले को प्रभावित मान लिया गया, और अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों ने अपनी मर्जी से DMF के पैसों को खर्च किया। अब इसके परिणाम सामने नजर आ रहे हैं।

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