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भू स्वामियों की समस्याओं और भ्रष्टाचार पर लगेगा अंकुश, जमीनों का बनेगा “आधार कार्ड”

नई दिल्ली : देश में एक ऐसी टेक्नॉलॉजी आई है जिसके आने के बाद देश के लोगों के जीवन से जुड़ी एक बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा और इसके साथ ही भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लग जाएगा। दरअसल भारत में देश के नागरिकों की ही तरह जमीनों की विशेष पहचान निर्धारित करने की प्रक्रिया जारी है। जमानों की यह पहचान संख्या हमारे आधार नम्बर कू तरह ही काम करेगी। अब देश मे भू स्वामियों को उनके भूमियों की विशेष पहचान संख्या दी जाएगी। ये पहचान संख्याएँ अल्फा न्यूमेरिक (Alpha-Numeric) होंगी अर्थात ये अक्षरों और अंकों के संयोग से बनेंगी। इन भू पहचान संख्याओं को ULPIN (Unique Land Parcel Identification Number) के नाम से जाना जाएगा।

यह ULPIN समस्त बैंकों और सरकारी संस्थाओं को उपलब्ध कराया जाएगा। जिस तरह आज किसी भी काम के तिए आधार कार्ड से किसी व्यक्ति की पहचान होती है, ठीक ऐसे ही जिस स्थान पर भी जमीन के पहचान की आवश्यकता पड़ेगी, वहां ULPIN के आधार पर काम किया जाएगा। ULPIN का वितरण अक्षांश और देशांतर रेखाओं के आधार पर किया जाएगा।

ULPIN के आने से होंगे ये फायदे

  • ULPIN आने के बाद नहीं लगाने पड़ेंगे किसी भी जमीन का विवरण जुटाने के लिए राजस्व कार्यालय के चक्कर।
  • ULPIN से जमीन की खरीदी-बिक्री का पूरा रिकॉर्ड हो जाएगा प्राप्त।
  • ऑफिस का काम न होने के कारण विभाग के कर्मचारियों की जेबें गर्म करने की कोई जरूरत नहीं रहेगी।
  • ऑनलाइन देखा जा सकेगा ULPIN के माध्यम से घर बैठे ही जमीन का रिकॉर्ड।
  • नहीं किया जा सकेगाजमीन के कागज़ातों में गड़बड़ी और घोटाला।
  • जमीनी विवाद के मामलो में आएगी गिरावट।
  • नहीं किया जा सकेगा गलत माध्यमों से जमीन का नामांतरण।
  • अलग-अलग बैंकों से एक ही जमीन के नाम पर नहीं हो सकेगा लोन का आबंटन।
  • धोखाधड़ी के मामले होंगे कम।
  • जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया होगी आसान।

कहाँ तक पहुँची है प्रक्रिया?

  • 2008 में हुई थी डिजिटल भारत भूखंड ब्योरा आधुनिकीकरण कार्यक्रम (Digital India Land Record Modernisation Programme) की शुरुआत।
  • 2016 में डिजिटल इंडिया (Digital India) मिशन की लॉन्चिंग के बाद आई काम में तेजी।
  • जमीनी दस्तावेजों को डिजिटल फॉर्मेट में लाने का 94% काम हो चुका है पूरा।
  • देश के 5,220 रजिस्ट्री कार्यालयों में से 4,883 को किया जा चुका है ऑनलाइन।
  • 13 राज्यों में सात लाख भूखंडों के लिए जारी हो चुके हैं ULPIN.

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