Get all latest Chhattisgarh Hindi News in one Place. अगर आप छत्तीसगढ़ के सभी न्यूज़ को एक ही जगह पर पढ़ना चाहते है तो www.timesofchhattisgarh.com की वेबसाइट खोलिए.

समाचार लोड हो रहा है, कृपया प्रतीक्षा करें...
Disclaimer : timesofchhattisgarh.com का इस लेख के प्रकाशक के साथ ना कोई संबंध है और ना ही कोई समर्थन.
हमारे वेबसाइट पोर्टल की सामग्री केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और किसी भी जानकारी की सटीकता, पर्याप्तता या पूर्णता की गारंटी नहीं देता है। किसी भी त्रुटि या चूक के लिए या किसी भी टिप्पणी, प्रतिक्रिया और विज्ञापनों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
मौत के बाद मिटा रिश्वत का कलंक…हाईकोर्ट में शाखा प्रबंधक के परिजनों ने लड़ा केस…निचली अदालत का आदेश खारिज
बिलासपुर— 22 साल की लम्बी लड़ाई और मौत के बाद बैंक प्रबंधक को रिश्वत के कलंक से निजात मिली है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया है। बैंक प्रबंधक पर सरकारी योजना के तहत बोरवेल खुदाई में लोन देने के दौरान हितग्राही  रिश्वत लेने के आरोप लगा था।मामले में निचली अदालत से प्रबंधक को एक साल की सजा मिली थी।
सुनाई थी। सजा के खिलाफ बैंक प्रबंधक ने 2003 में हाईकोर्ट में अपील की थी। अपील लंबित रहने के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद विधिक वारिस पत्नी व बेटों ने मुकदमा को आगे बढ़ाया। 22 वर्ष बाद हाईकोर्ट ने बैंक प्रबंधक को रिश्वत लेने के आरोप से मुक्त करते हुए निचली अदालत के आदेश को खारिज किया है।
याचिकाकर्ता दुर्ग निवासी राजेन्द्र कुमार यादव 2000-2001 में कृषि एवं भूमि विकास बैंक बेमेतरा शाखा में शाखा प्रबंधक के पद पर थे। पदस्थापना के दौरान ग्राम अरामसाही नवागढ़ ब्लॉक निवासी किसान धीरेन्द्र कुमार शुक्ला ने अपने पिता राजेन्द्र नारायण शुक्ला के नाम से बोरवेल खुदाई के लिए सरकारी योजना के तहत लोन का आवेदन दिया।  शाखा प्रबंधक राजेन्द्र कुमार यादव ने प्रोसेस शुल्क 526 रूपये जमा करने को कहा। किसान ने शाखा प्रबंधक पर रिश्वत मांगे जाने की लोकायुक्त रायपुर में शिकायत की।
लोकायुक्त ने मई 2001 को शिकायतकर्ता को केमिकल लगे करेंसी लेकर बैंक प्रबंधक के पास भेजा। ईशारा मिलते हुए ट्रेप कर शाखा प्रबंधक को हिरासत में लिया। न्यायालय में चालान पेश किया गया। विशेष न्यायाधीश ने जनवरी 2003 को शाखा प्रबंधक को भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत 1 वर्ष कैद और  500 रूपया अर्थदंड लगाया।
 निचली अदालत के खिलाफ शाखा प्रबंधक ने हाईकोर्ट में याचिका पेश किया। अपील लंबित रहने के दौरान याचिकाकर्ता शाखा प्रबंधक की मौत हो गई। पत्नी उतम कुमारी यादव, पुत्र प्रशांत यादव और निशांत यादव ने मुकदमा को आगे बढ़ाया। 22 वर्ष बाद अगस्त में अपील पर हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई हुई।
हाईकोर्ट ने मामले में पाया कि शिकायतकर्ता ने अपीलकर्ता को 526 रूपये प्रोसेस शुल्क दिया था। ट्रेप टीम ने उसके जेब से 100-100 के चार करेंसी नोट जब्त किये। प्रतिपरीक्षण में बात सामने आई कि अपीलकर्ता के जेब से टीम ने 7-8 करेंसी नोट निकाला था। रिश्वत में दिए गए नोट के नंबर भी दर्ज नहीं है। अपीलकर्ता ने बचाव में कहा कि शिकायतकर्ता ने प्रोसेस शुल्क दिया था। रसीद भी  दिया गया था। याचिकाकर्ता के परिजनों ने हाईकोर्ट के सामने रसीद भी पेश किया। पुरी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने बैंक प्रबंधक को रिश्वत लेने के आरोप से मुक्त किया। साथ ही निचली अदालत के निर्णय को खारिज कर दिया है।
https://www.cgwall.com/the-stigma-of-bribery-was-erased-after-his-death-the-branch-managers-family-fought-the-case-in-the-high-court-the-lower-courts-order-was-rejected/