रायपुर। स्टूडेंट्स के बीच इनोवेशन, क्रिएटिविटी और वैज्ञानिक पहलुओं को बढ़ावा देने के मकसद से पूरे देश में अटल टिंकरिंग लैब (ATL) की शुरुआत केंद्र सरकार ने 2015-16 में की थी। इसके तहत छत्तीसगढ़ के बाल वैज्ञानिकों को भी स्कूल में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा देने और बच्चे नयी तकनीक से रूबरू कराने हेतु एडोबी, अमेज़न, इंटेल, माइक्रोसॉफ्ट और आईबीएम कंपनियों के अटल इनोवेशन मिशन के तहत नीति आयोग ने साझेदारी भी की थी। ताकि शासकीय स्कूल के छात्र भी वैश्विक स्तर पर अपने आइडियाज प्रेजेंट कर सकें।
छत्तीसगढ़ में वर्ष 2020-21 शिक्षा सत्र में पूरे प्रदेश में 116 और रायपुर के 20 स्कूलों में ATL का निर्माण सुनिश्चित किया गया है। मगर नीति आयोग द्वारा जारी लिस्ट में केवल 114 स्कूलों की सूची जारी की है। जिसमें रायपुर के बीस स्कूल तो शामिल हैं मगर वहां बने लैब पोलियोग्रस्त हो चुके हैं। लैब में अब भी बच्चों को कई सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
अगर पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2018 से अब तक रायपुर के एक भी स्कूल को टॉप रैंक में जगह नहीं मिल सकी है। जबकि बिलासपुर का सरकारी स्कूल तीन बार पूरे देश में नंबर-1 की पोजिशन बनाने में सफल रहा। इतना ही नहीं वहां के छात्रों के आईडियाज़ दुबई में हुए कॉन्टेस्ट में प्रेजेंट हो चुके हैं।
बच्चों को कुछ नया करने के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से देशभर के स्कूलों में निति आयोग द्वारा ‘अटल टिंकरिंग लैब’ तैयार जा रहा है। ये लैब छठी से 12वीं कक्षा तक के स्कूलों में बनाई जाएंगी। इसके लिए सरकार 20 लाख रुपये की मदद देगी।
नीति आयोग ने जब अटल टिंकरिंग लैब के लिए योजना बनाई थी उसमें स्पष्ठ रूप से बताया गया था कि 17 फरवरी 2020 तक छत्तीसगढ़ राज्य में 201 स्कूलों में पूर्ण रूप से लैब स्थापित हो चुकी हैं। वहीं हाल ही में आयोग द्वारा जारी लिस्ट में केवल प्रदेश के 114 स्कूलों का ही नाम दर्ज है। जिसमें राजधानी रायपुर के बीस स्कूल भी शामिल हैं। बता दें कि इस योजना के तहत पूरे प्रदेश में 479 लैब स्थापित किए जाने हैं। प्रदेश में अभी तक केवल 114 लैब बनाए गए हैं जबकि नीति आयोग 201 लैब का दावा कर रहा है।
शिक्षा सत्र 2020-21 में प्रदेश के 201 स्कूलों में और रायपुर जिले के 20 स्कूलों में लैब का निर्माण होना था।निजी स्कूलों को छोड़ दे तो जिले के शासकीय स्कूलों में शत प्रतिशत अभी तक “अटल टिंकरिंग लैब” का निर्माण नहीं हो पाया है। कहीं पर कमरों की कमी है और कहीं पर सामान नहीं पहुंचा है। वहीं राजधानी के स्कूलों में बने लैब अब तक अधूरे बने हैं।
स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी लैब का जल्द निर्माण कराने और शिक्षक को पदस्थ करके छात्रों को वैज्ञानिक प्रयोग सिखाने का दावा कर रहे हैं। अब बात यह आती है कि प्लान चार्ट के अनुसार जब लैब की संख्या को सुनिश्चित नहीं कर पाए और जो लैब बने हैं उनको दुरुस्त नहीं कर पाए तो यहां के बच्चे भावी वैज्ञानिक कैसे बन पाएंगे।
राजधानी में भले ही स्कूल प्रबंधन की अनदेखी और लापरवाही से अटल टिंकरिंग लैब और भावी भविष्य पिछड़ रहा हो। मगर प्रदेश में कुछ ऐसे भी स्कूल हैं जिन्होंने देशभर में इस इनोवेशन साझेदारी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। बिलासपुर का सरकारी स्कूल लगातार 3 वर्षों से पूरे देश में नंबर वन पोजीशन बनाए हुए है। यहां के छात्रों के इनोवेटिव आइडियाज को देशभर ने सराहा है। इतना ही नहीं वर्ष 2018 में बिलासपुर के छात्रों ने दुबई में आयोजित प्रतियोगिता में भी अपने आइडियाज को प्रजेंट किया था।
वहीं धमतरी जिले के शिव सिंह वर्मा शासकीय आदर्श स्कूल की अटल टिकरिंग लैब को नीति आयोग दिल्ली ने सबसे एक्टिव लैब घोषित किया है। इसका चयन इनोवेशन के लिए किया गया। इनोवेशन के लिए एटीएल लैब को 2 लाख का फंड मिला है। अब इसे ई-कामर्स से जाेड़ा गया है। स्कूल में थ्री-डी प्रिंटर से बनने वाले प्रोजेक्ट व उत्पाद को पोर्टल पर लोग देख सकेंगे। सामान के ऑर्डर भी लिए जाएंगे, साथ ही इसकी ऑनलाइन बिक्री भी होगी। छात्र-छात्राएं नई-नई तकनीक का उपयोग कर थ्रीडी-प्रिंटर से अलग अलग सामान बना रहे हैं। ऑर्डर मिलने पर बेचा जाएगा।
एटीएल की समस्त जानकारी अभी स्कूल द्वारा स्पष्ट नहीं की गई है। शहर में 20 स्कूल का चयन अटल टिंकरिंग लैब के लिए हुआ है। वहां की क्या स्थिति है उसकी जानकारी के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। बिलासपुर की तुलना रायपुर रैंक में क्यों नहीं आ रहा उस कमी को दूर करने भी कार्ययोजना सूची आने के बाद की जाएगी।
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The post राजधानी में अटल टिंकरिंग लैब योजना हुई पोलियोग्रस्त, बच्चों को नहीं मिल रही सुविधाएं… ऐसे में बाल वैज्ञानिक हो सकते हैं कुपोषित appeared first on The Rural Press.