राजनांदगांव। पूर्व महापौर अजीत जैन ने नगर विकास, प्रशासनिक सुधार और भ्रष्टाचार पर रोकथाम को लेकर अपनी मांगें और सुझाव प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि संपत्ति कर में छूट, पार्षदों की भूमिका को सशक्त बनाने, प्रशासनिक तालमेल सुधारने और प्रधानमंत्री आवास योजना में पारदर्शिता लाने की जरूरत है।
संपत्ति कर में छूट और पारदर्शिता पर जोर
पूर्व महापौर अजीत जैन ने मांग की कि संपत्ति कर निगम एवं पालिक में 50 प्रतिशत छूट व नगर पंचायत जो अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ा है, में संपत्ति कर पूर्ण छूट दी जाए, उन्होंने अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए बताया कि जब वे महापौर थे, तब 20 साल पुराने मकानों को साढ़े तीन वर्ष तक 50% संपत्ति कर छूट प्रदान किया उस वक्त म.प्र. था।
भ्रष्टाचार पर लगाम और वार्ड विकास पर फोकस
अजीत जैन ने बढ़ती वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की शिकायतों पर चिंता जताई और मांग की कि सभी विभागों के अलावा नगरीय निकाय व पंचायत में शीघ्र लोकपाल नियुक्ति शुभांरभ की घोषणा की जायें। उन्होंने वार्डों के समुचित विकास के लिए पार्षदों की भूमिका को मजबूत करने के लिए मोहल्ला विकास समिति के गठन की भी सलाह दी।
प्रशासनिक टकराव दूर करने की मांग
नगर निगमों में कलेक्टर और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी को दूर करने के लिए अजीत जैन ने सुझाव दिया कि महापौर को निगम कमिश्नर की गोपनीय रिपोर्ट (सी.आर.) लिखने का अधिकार दिया जाए। इससे प्रशासनिक टकराव कम होगा और नगर निगमों का सुचारू संचालन सुनिश्चित होगा।
प्रधानमंत्री आवास योजना में पारदर्शिता की जरूरत
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 30 साल के पट्टे या रजिस्ट्री वालों को मिलने वाले आवास में गड़बड़ी और भेदभाव की शिकायतों पर अजीत जैन ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इस योजना में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है और जनप्रतिनिधि व अधिकारी की संयुक्त भागीदारी की जांच कर सख्त कार्यवाही की उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की ताकि गरीब जनता को उनके अधिकार का पूरा लाभ मिल सके।
पूर्व महापौर अजीत जैन ने कहा कि नगर के विकास और जनता के हितों की रक्षा के लिए प्रशासन को पारदर्शी और जनहितकारी निर्णय लेने चाहिए।
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