दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने सीनियर वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम की 11 नवंबर की बैठक में यह सिफारिश की गई है। खास बात ये है कि केंद्र की तरफ से चार बार कृपाल के नाम को लेकर आपत्ति जताने के बावजूद कॉलेजियिम ने अपनी सिफारिश दी है। कृपाल खुद को समलैंगिक स्वीकार कर चुके हैं। अक्टूबर 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से जज के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी। इसके बाद से सुप्रीम कोर्ट चार बार उनकी सिफारिश का फैसला टाल चुका था। सितंबर 2018, जनवरी-अप्रैल 2019 और अगस्त 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सिफारिश का फैसला टाल दिया था। दरअसल, केंद्र ने कृपाल के विदेशी पुरुष साथी को लेकर चिंता जताई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कृपाल के पार्टनर एक ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट हैं और स्विट्जरलैंड के रहने वाले हैं, इसलिए केंद्र को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं हैं।
पूर्व सीजे के हैं बेटे
सौरभ कृपाल सीनियर वकील और पूर्व चीफ जस्टिस बीएन कृपाल के बेटे हैं। सौरभ पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के साथ बतौर जूनियर काम कर चुके हैं, वे कमर्शियल लॉ के एक्सपर्ट भी हैं। सौरभ कृपाल ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की है, वहीं लॉ की डिग्री ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पूरी की है। वे सुप्रीम कोर्ट में करीब 20 साल प्रैक्टिस कर रहे हैं।
धारा 377 खत्म करवाने लड़ा था केस
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2018 में समलैंगिकता को अवैध बताने वाली आईपीसी की धारा 377 पर अहम फैसला दिया था। कोर्ट ने कहा था कि समलैंगिक संबंध अपराध नहीं हैं। इसके साथ ही अदालत ने सहमित से समलैंगिक यौन संबंध बनाने को अपराध के दायरे से बाहर कर धारा 377 को रद्द कर दिया था। इस मामले में सौरभ कृपाल ने पिटीशनर की तरफ से पैरवी की थी।