रायपुर। लॉक़डाउन के दौरान शराब दुकान खुलने के बाद प्रदेश में एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है। इस बीच प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने शरीबबंदी को लेकर बयान देकर एक नई बहस शुरू कर दी है। त्रिवेदी ने कहा है कि प्रदेश में राजस्व की वैकल्पिक व्यवस्था के बाद ही शराबबंदी की जाएगी। कांग्रेस के इस बयान की शराबबंदी संयुक्त मोर्चा के निश्चय बाजपेयी और भाजपा नेता व सीए अमित चिमनानी ने कड़ी निंदा की है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख त्रिवेदी ने कहा है कि 2018 के विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में किए गए 36 वादों में से शराबबंदी भी एक है। घोषणा पत्र के अन्य वादों की तरह शराबबंदी का वादा भी कांग्रेस 5 साल के भीतर पूरा करेगी।
भाजपा की केंद्र सरकार के नोटबंदी या लॉकडाउन की तरह शराबबंदी नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि शराबबंदी समुचित व्यवस्था बनाने के बाद और राज्य के राजस्व की वैकल्पिक व्यवस्था बनाने के बाद ही की जाएगी।
त्रिवेदी के इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए शराबबंदी संयुक्त मोर्चा के निश्चय बाजपेयी ने कहा कि शराब के वैकल्पिक राजस्व के लिए कांग्रेस ने सेल्स टैक्स शुरू किया था तो शराबबंदी करने में देरी क्यों कर रहे हैं। मोर्चा ने छत्तीसगढ़ सरकार को याद दिलाते हुए कहा है कि कामराज जी के प्रस्ताव पर कांग्रेस ने पहले ही ऐसा टैक्स लगाया हुआ है।
कांग्रेस ने शराब सेे मिलने वालेे राजस्व की भरपाई के लिए सेल्स टैक्स को शराबबंदी टैक्स के रूप मे लागू किया था। साथ ही देश के कई हिस्सों में शराबबंदी भी लागू की थी। बाद की सरकारों ने शराब की बिक्री तो वापस शुरू कर दी मगर शराबबंदी टैक्स मतलब सेल्स टैक्स लेना बंद नही किया।
आज भी यह टैक्स जीएसटी का एक बड़ा हिस्सा है और सरकार को इससे शराब से कहीं अधिक राजस्व मिलता है। मोर्चा ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस को प्रदेश में शराबबंदी संबंधी उनका संकल्प याद दिलाते हुए कहा कि कांग्रेस ने प्रदेश के गरीब घरों की बरबादी और महिलाओं पर हो रही हिंसा के लि शराब को जिम्मेदार माना था।
श्री बाजपेयी ने कहा कि यह छत्तीसगढ़ कांग्रेस की निर्लज्जता है कि वह आज सत्ता मे आने के बाद उसी बरबादी से पैसे कमाने की बात कह रही है। शराबबंदी न करना पड़े इसलिये बदल-बदल कर तर्क दे रही है। पहले सरकार कह रही थी कि नोटबंदी की तरह शराब को अचानक बंद नही करेंगे अन्यथा लाखों मदिराप्रेमी मर जाएंगे।
करोना महामारी के कारण 45 दिनों तक प्रदेश की शराब दुकानें अचानक बंद करनी पड़ीं। इतनी लंबी अवधि तक शराब नहीं मिलने के बावजूद प्रदेश में कोई जन हानि नहीं हुई, बल्कि इसके उलट शराबियों का स्वास्थ्य सुधर गया। उनकी खुराक बढ़ गई। घरेलू हिंसा बंद हो गई।
गांव में लड़ाई-झगड़े बंद हो गए और सुख-शांति का वातावरण बन गया। ऐसे में सरकार के सारे तर्क झूठे साबित हो गए। अब वे राजस्व का बहाना करके शराब बेचना चाहते हैं। कांग्रेस को खुलासा करना चाहिए कि छत्तीसगढ़ के एक लाख करोड़ के सालाना बजट में से शराब से मात्र चार हजार करोड़ ही आते हैं।
इसमें से 1600 करोड़ की शराब खरीदी जाती है। इसके अलावा आबकारी विभाग और आठ सौ सरकारी शराब की दुकानों पर मोटी रकम खर्च करने के बाद सरकारी खजाने में कोई विशेष आमदनी जमा नहीं होती। फिर ऐसा क्या कारण है कि करोना महामारी के बीच वो राजस्व का बहाना बनाकर शराब दुकानों पर हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा कर रही है। मोर्चा की तरफ से बयान जारी करते हुए निश्चय वाजपेयी ने कहा है कि दरअसल अवैध शराब से कमाई करने वालों से सरकार की सांठ-गांठ है।
इसी के चलते सरकार ने इस खतरनाक समय मे शराब दुकान खोलने का निर्णय लिया है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय है और इसके कारण बड़ी संख्या मे लोगों के करोना से संक्रमित होने की आशंका है। मोर्चा ने शराब दुकानों को खोलने के सरकारी आदेश की कड़ी निंदा करते हुए उसे तत्काल वापस लेने की मांग की है।
साथ ही मोर्चा ने प्रदेश मे तत्काल पूूर्ण शराबबंदी लागू करने की मांग करते हुुए चेतावनी दी है कि प्रदेश की महिलाएं शराब बेचे जाने से बेहद आक्रोशित हैं और यदि सरकार ने अपना यह जनविरोधी कदम वापस नही लिया तो आंदोलन उग्र रूप धारण कर सकता है।
चार्टर्ड अकॉउंटेंट्स व आर्थिक जानकर व भाजपा नेता सीए अमित चिमनानी ने कांग्रेस के मीडिया प्रमुख शैलेश नितीन त्रिवेदी पर तीखा पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि घोषणा पत्र में कांग्रेस के एक तरफ बहुत सारे खर्चों वाले वादों की झड़ी लगाई थी, दूसरी तरफ प्रदेश की आय कम करने वाला शराबबंदी का वादा किया था।
भाजपा ने जब यह पूछा था कि ये सब होगा कैसे तो कांग्रेस के मुखिया सहित सभी ने कहा था कि हमें पहले से ही मालूम हैं वादे कैसे पूरे होंगे। हम एक साल से घोषणा पत्र बना रहे हैं। अब कांग्रेस कह रही है कि शराब के लिए जब तक कोई वैकल्पिक राजस्व नही मिलेगा, तब तक शराबबंदी नहीं की जाएगी।
तब गंगाजल लेकर झूठ कहा गया ये साफ हो गया है। राज्य के राजस्व में शराब से आय केवल 6% तक ही है। एक लाख करोड़ के बजट में शराब से होनी वाली आय लगभग 6 हज़ार करोड़ ही है। ऐसे में 15 दिन और अगर शराब दुकानें बंद रहती तो केवल राज्य को केवल 250 करोड़ रुपए का ही नुकसान होता। पर कांग्रेस ने इतने रुपए को लोगों की जान से ज्यादा समझा है। अगर संक्रमण फैलता है तो इससे ज्यादा खर्च लोगों को बचाने में लगेगा।
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