शिखिल ब्यौहार, भोपाल। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित मुस्लिम शिक्षण केंद्र और इस्लामिक संगठन दारुल उलूम देवबंद से निकले विवादित फतवा की आंच मध्यप्रदेश तक पहुंची। मामला दारुल उलूम द्वारा ‘गजवा ए हिंद’ को मान्यता से जुड़ा हुआ है। हिंदू संगठनों ने तत्काल सरकार से दारुल उलूम देवबंद पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। दरअसल ‘गजवा ए हिंद’ का मतलब भारत पर आक्रमण और भारत को जीतकर इसका इस्लामीकरण करने से है।
मुस्लिम संगठन दारुल उलूम के जारी फतवा को लेकर बजरंग दल ने तीखी प्रतिक्रिया दी। संगठन के महानगर मंत्री राजा भैया ने कहा कि ‘गजवा ए हिंद’ का फतवा जारी करना आतंकी मानसिकता और जेहादी सोच का प्रतीक है। ऐसी सोच रखने वाले दारुल उलूम पर केंद्र सरकार को तत्काल प्रतिबंध लगाना चाहिए। बजरंग दल ने यह भी मांग की है कि इन संगठनों के पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर संबंधित केंद्रों पर छापामार कार्यवाही की जाए। बजरंग दल ने साफ कहा कि हिंदूवादी संगठन न सिर्फ मुंह तोड़ जवाब देने बल्कि कुचलने को तैयार हैं।
वीएचपी के प्रांत प्रचार प्रसार प्रमुख जिंतेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि मुगल आक्रांताओं ने भारत पर ‘गजवा ए हिंद’ की सोच से ही कई आक्रमण किए थे। तब मंदिर तोड़े गए और सनातनी माताओं-बहनों के साथ दिल दहला देने वाला अत्याचार किया गया। धर्मांतरण और लव जिहाद भी ‘गजवा ए हिंद’ का ही हिस्सा है। यह एक साजिश है जो फतवा के जरिए सामने आई है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने अपना काम नहीं किया तो देश विरोध दारुल उलूम जैसे संगठनों को सबक सिखाने का काम वीएचपी बखूबी करना जानता है।
बीजेपी ने भी मामले पर फतवा और मुस्लिम संगठन दारुल उलूम पर निशाना साधा। बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी ने कहा कि भारत देश शरिया कानून या फतवा से नहीं चलेगा। देश चलेगा तो संविधान से ही चलेगा। यूपी में योगी, केंद्र में मोदी और एमपी में मोहन यादव और रामराजा की सरकार है। ऐसी जिहादी मानसिकता को पनपना नहीं दिया जाएगा।
मुस्लिम संगठन दारुल उलूम पहले भी विवादों में रह चुका है। वर्ष 2015 में दारुल उलूम की वेबसाइट पर किसी व्यक्ति ने गजवा-ए-हिंद को लेकर जानकारी मांगी थी। संगठन तब भी जवाब में सुन्नत अल नसाई पुस्तक का हवाला दिया था। यह भी बताया गया कि इस पुस्तक में गजवा-ए-हिंद को लेकर पूरा अध्याय दिया हुआ है।
मामले पर ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली ने कहा कि मामला उत्तर प्रदेश का है। सरकार भी अपना काम कर रही हैं। लिहाजा बयान दे रहे संगठनों माहौल खराब नहीं करना चाहिए। मुसलमानों में फतवा हमेशा से जारी होते रहे हैं। एक फतवा देश को आजाद कराने के लिए भी जारी किया गया था। मुल्क सबका बराबर है।
फतवा को लेकर यूपी सरकार ने एक्शन लिया है। बाल आयोग की शिकायत पर प्रशासन ने जांच पड़ताल भी शुरू कर दी है। मामले पर बाल आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने यूपी सरकार समेत जिला अधिकारियों से बातचीत भी की। बाल आयोग ने पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों को एफआईआर दर्ज करने के लिए पत्र भी लिखा।
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