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गजब कारनामा : थाने से मुचलके पर कर दिया रिहा, इधर कोर्ट में किया चालान पेश, डिस्ट्रिक्ट जज के आदेश को हाईकोर्ट ने पलटा, लगाया जुर्माना

वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में एक महिला की आबकारी एक्ट में गिरफ्तारी और उसके जमानतीय अपराध के जमानत खारिज करने के आदेश को हाईकोर्ट ने गलत ठहराया है. साथ ही कोर्ट ने महिला को 25 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी जारी किया है.

Chhattisgarh-High-Court

दरअसल, जांजगीर जिले के नवागढ़ निवासी 73 वर्षीय महिला के विरुद्ध शिवरीनारायण आबकारी इंस्पेक्टर ने 3 लीटर देशी शराब के मामले में जमानतीय अपराध का मामला दर्ज किया गया था. 16 सितम्बर 2021 को दर्ज किए गए इस मामले में उसे बेल बॉन्ड भरवाकर थाने से ही जमानत दे दी गई थी. जिसके बाद 14 मार्च 2022 को आबकारी पुलिस ने उक्त महिला को बिना सूचना दिए जांजगीर न्यायालय में चालान प्रस्तुत कर दिया. महिला की उपस्थिति के लिए न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था. जिसकी तामिली और सूचना भी महिला को कभी नहीं हुई. जिसके बाद महिला को 10 मई 2023 को उसके अधिवक्ता के माध्यम से जानकारी हुई की न्यायालय से उसके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया है. जिसकी सूचना पर उसने 7 दिसंबर 2023 को न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण कर वारंट निरस्त करने का आवेदन प्रस्तुत किया, लेकिन मजिस्ट्रेट ने उसे जेल भेज दिया. जिसके 7 दिन बाद सत्र न्यायालय से उसकी जमानत हुईं.

उक्त मजिस्ट्रेट के आदेश और अवैध गिरफ्तारी के आदेश के विरुद्ध महिला ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता गौरव सिंघल के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत कर उचित कार्रवाई और क्षतिपूर्ति की मांग की. जिस पर चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच ने सुनवाई की और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मूल अधिकारों का हनन मानते हुए मजिस्ट्रेट के उक्त आदेश को गलत ठहराया. साथ ही हाईकोर्ट ने महिला को 30 दिन के भीतर 25 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है.

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