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दशहरा और विजयादशमी मतलब एक या दोनों में है अंतर, जानिए इस त्योहार का महत्व और शस्त्र की पूजा की परंपरा

NPG DESK। अहंकार पर विजय का पर्व दशहरा शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन आता है। इस बार 2022 में दशहरा या विजयादशमी का पर्व 5 अक्टूबर मनाया जाएगा।

दशहरा और विजयादशमी दोनों ही हिन्दुओं के बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार हैं। चूँकि दोनों ही त्यौहार एक ही दिन पड़ते हैं अतः कई लोग इन्हें एक ही समझ बैठते हैं। शायद ऐसा इस लिए भी है कि दोनों ही त्यौहार दस दिनों तक मनाये जाते हैं और दसवें दिन इनका समापन होता है और दोनों ही त्यौहार एक ही साथ पड़ते हैं। दशहरा और विजयादशमी भले ही एक साथ पड़ते हैं किन्तु दोनों के मनाने की वजह एकदम अलग अलग है और दोनों के मनाने के तरीके भी अलग अलग हैं।

शस्त्र की पूजा की परंपरा

पौराणिक कथाओं के अनुसार दशहरे के दिन ही भगवान राम ने लंका के राजा रावण का वध किया था। इसी की खुशी में दशमी तिथि को विजयादशमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। युद्ध में विजय के कारण और पांडवों से जुड़ी एक कथा के कारण विजयदशमी को हथियार (अस्त्र-शस्त्र) पूजने की परंपरा भी है। दशहरे के दिन अगर किसी को नीलकंठ पक्षी दिख जाए तो काफी शुभ होता है। नीलकंठ भगवान शिव का प्रतीक है जिसके दर्शन से सौभाग्य और पुण्य की प्राप्ति होती है। दशहरे के दिन गंगा स्नान करने को भी बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। दशहरे के दिन गंगा स्नान करने का शुभ फल कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए दशहरे दिन लोग गंगा या अपने इलाके की पास किसी नदी में स्नान करने जाते हैं।

विजयादशमी और दशहरा क्या है

विजयादशमी में पूरे दस दिनों तक त्यौहार मनाया जाता है जिसमे शुरू के नौ दिनों तक देवी की पूजा अर्चना की जाती है। कई जगह दुर्गा माता की मूर्तियां रख कर पूजा की जाती है। दसवें दिन उन मूर्तियों का किसी नदी में विसर्जन कर दिया जाता है। कई लोग नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। विजयादशमी को शक्ति पूजा भी कहते हैं। इस दिन शस्त्र पूजा भी की जाती है। कहा जाता है कि प्रभु राम ने भी रावण वध करने के पहले शक्ति की पूजा की थी और उनसे आशीर्वाद लिया था।

दशहरा राम द्वारा रावण का वध करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है जबकि विजयादशमी देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर की हत्या करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

दशहरा में रावण और मेघनाथ के पुतले का दहन किया जाता है । विजयादशमी में नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा करने के पश्चात् उनकी मूर्तियों का किसी नदी में विसर्जन किया जाता है।

 दशहरा में दस दिनों तक रामलीलाएं आयोजित की जाती हैं। विजयादशमी में नौ दिनों तक देवी दुर्गा की जगह जगह प्रतिमाएं रखकर पूजा की जाती है।

 दशहरा में राम के द्वारा देवी दुर्गा की शक्ति पूजा की जाती है जबकि विजयादशमी में ऐसा नहीं किया जाता है।

दशहरा में राम, लक्ष्मण, हनुमान पूजनीय हैं । विजयादशमी में देवी दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश और कार्तिकेय पूजनीय हैं।

दशहरा और विजयादशमी दोनों ही त्योहारों का उद्द्येश्य बुराई पर अच्छाई की जीत या असत्य पर सत्य की विजय है।

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