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दिल्ली : भाषा, कला और संस्कृति का समागम देखने खिंचे आए लोग

भारत की भाषाई विविधता से सजे विश्व पुस्तक मेले में बच्चों और युवाओं के बहुत कुछ खास है। बहुभाषी भारत की विविधता को दर्शाता थीम मंडप लोगों के आकर्षण का विशेष केंद्र बना रहा।

रविवार को प्रगति मैदान पुस्तक प्रेमियों से खचाखच भरा रहा। एक तरफ हर उम्र के बच्चे हॉल 3 में बालमंडप में आयोजित होने वाली रचनात्मक गतिविधियों का आनंद लेते दिखे, वहीं युवा पाठकों की भीड़ अपनी भाषा, पसंदीदा विषय के उपन्यास, जीवनियों, तकनीकी पुस्तकों को खरीदने के लिए जमा रही। परीक्षाएं शुरू होने से पहले पुस्तकों से बच्चों का प्रेम हर किसी के दिल को लुभाता दिखा। कोई अपने बच्चों को स्ट्रोलर पर लाया तो कोई अपने बूढ़े माता-पिता को व्हील चेयर के सहारे विश्व पुस्तक मेले की सैर कराता दिखा। 

भारत की भाषाई विविधता से सजे विश्व पुस्तक मेले में बच्चों और युवाओं के बहुत कुछ खास है। हॉल पांच के रिसेप्शन पर लेखक और चित्रकार अभिषेक ने पेंटिंग बनाई, जिसमें उन्होंने दर्शाया कि पशु-पक्षी किस तरह प्रकृति की भाषा समझते हैं। भाषा जितनी अहम मनुष्य के लिए है, उतनी पशु-पक्षियों के लिए भी है। उनमें वह शक्ति होती है जिससे वह प्रकृति की भाषा को आसानी से समझते हैं और खुद को प्रकृति के अनुरूप ढाल लेते हैं। 

बच्चों की भीड़ बालमंडप पर भी खूब दिखी, जहां प्रसिद्ध लेखिका और पूर्व आईएएस अधिकारी अनीता भटनागर से कहानी सुनकर बच्चों ने अपने मन में उठे प्रश्न पूछे, वहीं रूस से आई लेखिका एल्योना करीमोवा ने चित्रकथा से रूस के तातार समुदाय की एक दादी की मजेदार कहानी सुनाकर बच्चों को अभिभावकों की बात मानने को प्रेरित किया। खेल-खेल में कैसे सीखा जा सकता है, इसकी झलक विश्व पुस्तक मेले में देखने को मिली।  

आकर्षण का केंद्र बना रहा थीम मंडप 
बहुभाषी भारत की विविधता को दर्शाता थीम मंडप लोगों के आकर्षण का विशेष केंद्र बना रहा। यहां डिजिटल और मुद्रित दोनों रूपों में भारत की भाषाई संस्कृति को दर्शाया गया है। उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम हर भाषा का रंग है। यहां एक एलईडी स्क्रीन लगाई गई है, जिस पर पाठक की-बोर्ड से अपना नाम टाइप कर उसका विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद प्राप्त कर सकते हैं। एक वॉल पर साइन बोर्ड हैं, जो रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, मेट्रो, सड़कों पर लगे पथ-प्रदर्शकों, अयोध्या नगर निगम को अलग-अलग भाषाओं में प्रदर्शित करता है। 

यहां भारत की बहुभाषी परंपरा की भी एक वॉल है, जिस पर जूनागढ़, महरौली लौह स्तंभ, बांकुरा की चंद्र वर्मन, बादामी गुफाएं, चंद्रगिरि, शोलिंगुर मंदिर और येल्लम्मा मंदिर में मिले प्राचीन शिलालेखों के चित्र अंकित हैं। यहीं एक तरफ हिंदी और अंग्रेजी सहित भारत की अन्य भाषाओं में प्रकाशित समाचार पत्रों को दर्शाती एक वॉल है। बच्चों के लिए एक वॉल पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रेरक प्रसंगों को 15 भाषाओं में दर्शाया गया है। यहां नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया द्वारा प्रकाशित सब का साथी, सब का दोस्त पुस्तक पढ़ने के लिए उपलब्ध है। 

फैब्रिक किताबें बनीं बच्चों की पसंद 
एफ-17 हॉल 4 में स्काई कल्चर द्वारा तैयार की गई बच्चों की वॉशेबल फैब्रिक पुस्तकें हैं, जो 6 महीने के बच्चों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई हैं। इन पुस्तकों की खासियत है कि ये वॉशेबल कपड़े पर तैयार की गई हैं, ताकि बिना फटे, खराब हुए लंबे समय तक ये नन्हे बच्चों के पास रहें और उनमें चित्रों के माध्यम से तरह-तरह की चीजों को समझने और पढ़ने की आदत विकसित की जा सके।

बहुभाषी मंच पर चर्चा और काव्य पाठ  
नई दिल्ली। पुस्तक मेले के दूसरे दिन थीम मंडप में ऑर्थर गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा बहुभाषी भारतीय संस्कृति पर चर्चा हुई। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजय शंकर मिश्रा, और बीएचयू के प्रोफेसर डॉ अशोक कुमार ज्योति शामिल हुए। थीम मंडप में बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें हिंदी के प्रसिद्ध कवि डॉ दिविक रमेश, संस्कृत कवि आचार्य राम दत्त मिश्रा अनमोल, ओडिया कवि अनिता पांडे और असमिया कवि निर्देश निधि दीपिका दास ने अपनी-अपनी भाषाओं में काव्य पाठ किया। 

किताबों का भी विमोचन किया गया : लेखक मंच पर हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, पंजाबी, कन्नड़, असमिया, मलयालम, गुजराती सभी भाषाओं की किताबों का विमोचन हो रहा। रविवार को प्रमोद कुमार अग्रवाल की 75वीं किताब ‘माफिया’ का विमोचन हुआ। प्रयागराज शहर के इतिहास और विरासत पर आधारित यह पुस्तक लेखक के पुलिस सेवा में रहते हुए अपने अनुभवों पर आधारित है। नोबल से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी की किताब ‘सपनो की रोशनी’ का लोकार्पण किया गया। प्रभात प्रकाशन की प्रकाशित इस किताब के विमोचन के अवसर पर प्रसिद्ध गीतकार पत्रकार आलोक कुमार, प्रभात प्रकाशन के निदेशक प्रभात कुमार और पीयूष कुमार भी मौजूद थे। राजकमल प्रकाशन के जलसाघर में भविष्य के पाठक विषय पर परिचर्चा हुई। कई अन्य किताबों का भी विमोचन हुआ।

साइबर अपराध से कैसे बचें बच्चे और युवा
विश्व पुस्तक मेले में आयोजित हिडन फाइल्स-डिकोडिंग साइबर क्रिमिनल्स एंड फ्यूचर क्राइम्स, एक दिलचस्प सत्र में भारत के प्रसिद्ध साइबर क्राइम एक्सपर्ट अमित दुबे ने आरजे स्वाति के साथ अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने साइबर अपराध से सावधान रहने के टिप्स देते हुए कहा, अपराधी यूजर्स का मोबाइल फोन हैक नहीं करते, बल्कि उनका दिमाग हैक करते हैं। अधिकतर बच्चे और युवा इसका शिकार होते हैं। इससे बचने के लिए बच्चों और युवाओं को साइबर क्राइम की किताबें पढ़नी चाहिए।

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