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फर्जीवाड़ा : गुजरात के बाद छत्‍तीसगढ़ का नंबर

नेशल अलर्ट/www.nationalert.in
रायपुर। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रपट ने क्‍या सत्‍ता पक्ष और क्‍या विपक्ष… दोनों की पोल खोलकर रख दी है। कैग की यह रपट केंद्र की सत्‍ता पर काबिज भाजपा सहित उसे दिनरात कोसने वाली कांग्रेस के लिए भी चिंताजनक है। जहां भाजपा शासित गुजरात इस रपट के एक हिस्‍से में पहले स्‍थान पर है तो वहीं कांग्रेस शासित छत्‍तीसगढ़ दूसरे स्‍थान पर काबिज है।

मतलब साफ है कि गुजरात और छत्‍तीसगढ़ जैसे दोनो राज्‍य कैग के अनुसार जिम्‍मेदारीपूर्वक कार्य करने में बेहद पीछे रहे हैं। दरअसल यह रपट आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) से जुड़ी हुई है। कैग ने इसका ऑडिट किया है।

एक ही मरीज कई अस्‍पतालों में भर्ती
कैग द्वारा किए गए ऑडिट में यह बात उभरकर सामने आई है कि एक ही मरीज कई अस्‍पतालों में भर्ती हो गए। इस तरह के कुल जमा 78396 मामले पाए गए हैं। ये मामले 2231 अस्‍पतालों से जुड़े हुए हैं। इस तरह के मामले में गुजरात में सबसे अधिक 21,514 मामले दर्ज किए गए।

गुजरात के बाद छत्तीसगढ़ का नंबर आता है। अकेले छत्‍तीसगढ़ से 9,640 मामले उभरकर सामने आए हैं। तीसरे स्‍थान पर वामपंथी विचार वाला राज्‍य केरल काबिज है। वामपंथी सरकार के राज में 9,632 प्रकरण ऑडिट में पकड़ में आए हैं।

ऐसा हुआ कैसे ?
रपट बताती है कि आईटी सिस्‍टम (टीएमएस) इस मामले में जिम्‍मेदार ठहराया जा सकता है। कैग के मुताबिक डेस्‍क ऑडिट के दौरान स्‍पष्‍ट हुआ कि इस तरह एक ही अवधि के दौरान कई अस्‍पतालों में प्रवेश लेने वाले मरीज को टीएमएस ने रोकने की कोई कोशिश नहीं की।

ऑडिट की अवधि के दौरान कुल जमा 23670 पुरूष रोगी एक ही समय में कई अस्‍पतालों में भर्ती थे। राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य प्राधिकरण इस मामले में कहता है कि दिशा निर्देशों के मुताबिक एंटीफ्रॉड से इन अस्‍पतालों का औचक निरीक्षण करने, जुर्माना लगाने, पैनल से हटाने, अभियोजन व अन्‍य निवारक उपायों के लिए जिम्‍मेदार है।

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