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बेजोड़ दांपत्य: भरी पंचायत में नारायण पर चली गोली छाती पर खाकर अमर हो गई सुखमारी, पति के आगे ढाल बनकर हुई खड़ी

झांसी के कटेरा थाना इलाके के ग्राम लारोन में जमीन विवाद में शुक्रवार की रात भरी पंचायत में बुजुर्ग दंपती पर फायरिंग कर दी गई। घटना में पत्नी की मौत हो गई, जबकि पति घायल है, जिसका इलाज मेडिकल कॉलेज में जारी है। हत्या का आरोप प्रधान पक्ष के लोगों पर लगाया गया है। पुलिस मामले की पड़ताल में जुटी हुई है। फोरेंसिक टीम ने भी मौके से साक्ष्य जुटाए हैं।

ग्राम लारोन में रहने वाले नारायण सिंह (70) खेतीबाड़ी करते हैं। नारायण ने बताया कि साल 2012 में उन्होंने अपनी जमीन गिरवी रखकर गांव के कुछ लोगों से चार लाख नब्बे हजार रुपये का कर्ज लिया था। लेकिन, विपक्षियों ने धोखे से 18 बीघा जमीन अपने नाम करा ली थी। इसके अलावा वह विपक्षियों को कई किस्तों में 10 लाख रुपये दे चुके हैं। 

बावजूद, वे जमीन मुक्त नहीं कर रहे हैं। वे कई गुना पैसे की मांग कर रहे हैं। नारायण ने बताया कि हालांकि जमीन अभी उसके कब्जे में ही है, लेकिन विपक्षी अब जमीन जोतने की बात कर रहे हैं। इसे लेकर कई बार गांव में पंचायत भी हो चुकी है। लेकिन, बात नहीं बन पाई। नारायण ने बताया कि शुक्रवार की रात तकरीबन 10 बजे प्रधान पक्ष के लोग उसके घर आए और पंचायत के लिए बुलाया। 

इस पर वह मामले को निपटाने के लिए 22 लाख रुपये से भरा बैग लेकर पत्नी सुखमारी राजा (65) के साथ प्रधान के घर पंचायत में पहुंचा। वहां पहले से ही गांव के कुछ लोग मौजूद थे। वहां पहुंचते ही उन्होंने बैग छीन लिया। विरोध करने पर विपक्षियों ने गोली चला दी। एक गोली पत्नी के सीने में लगी, जिससे वह वहीं गिर गई। 

जबकि, एक गोली उसके कंधे में लगी और दूसरी सिर के पास से निकल गई। घटना के बाद पहुंची पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से दोनों को मेडिकल भेजा। यहां सुखमारी को मृत घोषित कर दिया गया। जबकि, नारायण सिंह का इलाज जारी है। घटना को अंजाम देने का आरोप ग्राम प्रधान पक्ष के लोगों पर है।

धोखा देकर बुलाया था दंपती को
गोलीकांड में घायल नारायण सिंह और आरोपियों के घर आमने-सामने हैं। शुक्रवार की रात विपक्षी नारायण सिंह को पंचायत के लिए बुलाने आए थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि पंचायत में दारोगा जी भी मौजूद हैं। इस पर नारायण सिंह और उसकी पत्नी सुखमारी विपक्षियों के साथ चल दिए थे। लेकिन, वहां दारोगा मौजूद नहीं था। इससे पहले की नारायण सिंह कुछ समझ पाते, विपक्षियों ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी। घटना में सुखमारी की मौत हो गई, जबकि नारायण सिंह घायल हो गए।

घर पर ताला डालकर भागे आरोपी
घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी घर पर ताला डालकर फरार हो गए। पुलिस रात भर उनकी तलाश करती रही। पीड़ित पक्ष की ओर से पांच-छह लोगों पर घटना को अंजाम देने का आरोप लगाया है। पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया है, जिनसे पूछताछ जारी है।

दंपती को गोली मारी गई है। पत्नी की मौत हो गई, जबकि पति घायल है। पीड़ित पक्ष ने हत्या का आरोप प्रधान परिवार पर लगाया है। तहरीर लेकर मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। मामले की पड़ताल जारी है।- गोपीनाथ सोनी, एसपी देहात

नारायण पर चली गोली छाती पर खाकर अमर हो गई सुखमारी
शुक्रवार की रात को भरी पंचायत में चली गोली ने एक जान ले ली, लेकिन एक बेजोड़ दांपत्य की कहानी अमर कर दी। सुखमारी ने 65 साल की उम्र में पति पर चलाई गई गोली अपनी छाती पर झेलकर उनकी जान बचा ली। 70 साल के नारायण अस्पताल में उनकी याद में फफक रहे हैं। 52 साल पहले मायके से विदाई के वक्त सुखमारी की मां ने कहा था कि साये की तरह इनके साथ रहना। अब यही तुम्हारे सब कुछ हैं। 

सुखमारी ने जान देकर अपना सब कुछ बचा लिया। इलाके के घर घर में उनकी कहानी सुनते सुनाते हजारों जोड़ी आंखों में मानसून उतर रहा है। अगर परिवार वालों की मानें तो सुखमारी 13 साल की उम्र में नारायण के साथ ब्याह कर आई थी। उसके पति नारायण की उम्र उस वक्त 17 साल थी। मेडिकल कालेज के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती नारायण सिंह (70) फूट-फूटकर रो रहे हैं। जो भी उनके पास पहुंचता है उससे सिर्फ एक ही बात कहते हैं…मैं अपनी सुखमारी को नहीं बचा सका। 

मैंने उससे मना किया था कि रात हो रही है घर पर रहो, मैं पंचायत निपटाकर लौट आऊंगा। लेकिन कहने लगी कि अकेला नहीं जाने दूंगी। वह भी पीछे पीछे आ गई। पंचायत में पहुंचते ही हमलावरों ने हथियार निकाल लिए। दो लोग फायरिंग करने लगे। इसी दौरान सुखमारी ने उसे पीछे धकेल दिया और खुद आगे आ गई और एक गोली उसके सीने में जा लगी, जिससे वह लहूलुहान होकर मौके पर ही गिर गई। जबकि, गोली लगने से वह घायल हो गया था। नारायण ने बताया कि सबकुछ इतनी जल्दी हुआ कि वह पत्नी की जान बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर पाया। इसका उसे हमेशा मलाल रहेगा। बता दें कि नारायण के तीन बेटे और एक बेटी है। 

घटना के समय दो बेटे और बेटी मुंबई में थे। जबकि, एक बेटा बृजेंद्र सिंह मऊरानीपुर में था। वृद्ध दंपती घर पर अकेला रहता था। परिवार के लोग आते जाते रहते थे। परिवार वालों ने बताया कि जमीन को लेकर विवाद था। पहले भी कई दफा पंचायत हो चुकी लेकिन हल नहीं निकला। परिवार वालों ने बताया कि सुखमारी अपने पति नारायण सिंह को खेत पर भी अकेले नहीं जाने देती थीं। हमेशा उनके साथ ही रहती थीं।

उनकी मौत से परिवार ही नहीं गांव में ही कोहराम है। पुलिस ने भले ही इसे कत्ल के केस की तरह दर्ज किया है लेकिन समाज के दिलों में यह अमर प्रेम कथा की तरह दर्ज होने वाली प्रेम कहानी बन गई। पड़ोसी ने फोन कर बेटे बृजेंद्र सिंह को घटना की जानकारी दी थी। घटना के बाद से गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है।

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