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लाल सागर में तनाव से शेयर बाजार लाल,,सेंसेक्स 379 अंक टूटा

मुंबई। वाहन,निजी बैंक, पूंजीगत वस्तु, आईटी और रियल्टी शेयरों में बिकवाली तथा लाल सागर में तनाव बढ़ने से आज देसी शेयर बाजार लुढ़क गए। सभी क्षेत्रवार सूचकांकों में 1 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई और बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 379 अंकों या 0.53 फीसदी की गिरावट के साथ 71,892 पर बंद हुआ। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 76 अंक गिरकर 21,666 पर बंद हुआ। दोनों सूचकांकों में 20 दिसंबर 2023 के बाद सबसे बड़ी गिरावट आई है।

आईसीआईसीआई बैंक के शेयर में 1.9 फीसद गिरावट आई और सेंसेक्स की गिरावट में सबसे बड़ा हाथ इसी का रहा। लार्सन एंड टुब्रो 2.4 फीसदीऔर कोटक महिंद्रा बैंक 2.4 फीसदी टूटे। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रमुख (रिटेल रिसर्च) दीपक जसानी ने कहा, ‘निजी बैंकों के शेयर मुनाफावसूली के कारण गिरे हो सकते हैं। मासिक बिक्री के आंकड़ों में सुस्ती वाहन शेयरों पर भारी पड़ी। पिछले साल जबरदस्त मुनाफा कमाने के बाद निवेशक सुस्त हो गए हैं, जिसकी वजह से सूचकांक के शेयर में भी फायदा धीमा हो रहा है। अब कुछ नया और बड़ा होगा तभी बाजार उछलेगा।’आज रिलायंस इंडस्ट्रीज में 0.87 फीसदी, सन फार्मा में 2.9 फीसदी और बजाज फाइनैंस में 1.9 फीसदी की बढ़त देखी गयी। इसकी वजह से बाजार को कुछ सहारा मिला और सूचकांक ज्यादा गिरावट से बच गए।

इस हफ्ते लाल सागर में बढ़े तनाव ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। अमेरिकी नौसेना ने तीन हूती नौकाओं को नष्ट कर दिया, जिसके जवाब में ईरान ने लाल सागर में अपना युद्धपोत भेज दिया। तनाव के कारण ब्रेंट क्रूड का भाव 2 फीसदी उछल गया और आज शाम सात बजे तक यह 78.56 डॉलर प्रति बैरल था। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लाल सागर का तनाव कम नहीं हुआ तो जिंस के दाम उछल सकते हैं। ऐसे में ब्याज दर घटाने की प्रमुख केंद्रीय बैंकों की योजना खटाई में पड़ सकती है। कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से भारत को भी नुकसान होगा क्योंकि देश की कुल तेल जरूरत का 70 फीसदी आयात होता है।

साल 2023 में सेंसेक्स में करीब 18.7 फीसदी और निफ्टी में 20 फीसदी बढ़त देखने को मिली थी, जिसमें से ज्यादातर बढ़त पिछले दो महीने में ही आयी। अमेरिकी फेडरल रिजर्व से नरमी का संकेत पाकर उन महीनों में सेंसेक्स ने 13 फीसदी और निफ्टी ने 14 फीसदी चढ़ा। निवेशक मान रहे हैं कि फेडरल रिजर्व मार्च से ही ब्याज दरें घटाने लगेगा। दिसंबर की अपनी बैठक में फेड ने संकेत दिया था कि वह पहले के अनुमानों से ज्यादा तेज गति से ब्याज दरों में कटौती करेगा। देश में विधानसभा चुनाव के नतीजों से भी भरोसा बढ़ा कि सरकारी नीतियों में बदलाव नहीं होगा और अर्थव्यवस्था के मजबूत आंकड़ों ने निवेशकों का मनोबल और भी बढ़ाया।

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