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सड़कों पर पशुओं देखते ही हेल्प लाइन नंबर 1033 पर करें कॉल, 51 स्थानों में 102 कर्मचारियों अधिकारियों की ड्यूटी…

रायपुर। पशुओं को सड़कों पर आने से रोकने के लिए प्रशासन द्वारा विशेष कदम उठाये जा रहे है। राज्य की विभिन्न सड़कों के आस-पास के शहरों एवं गांवों की गौशालाओं, गौठानों और कांजी हाऊस की ऑनलाईन मैपिंग कार्य किया जा रहा है। इससे नगरीय प्रशासन एवं पंचायत विभाग सहित अन्य विभागों के समन्वय से दुर्घटना जन्य स्थलों पर विशेष निगरानी की जा रही है। गौशालाओं, कांजी हाऊस और गौठान की गूगल मैप तैयार होने पर सड़क पर आने वाले पशुओं को यहां पर रखने के लिए गूगल मैप सर्च करने में आसानी होगी। गौरतलब है कि उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में आज यहां मंत्रालय महानदी भवन में पशुओं के कारण हो रही सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पशुओं को सड़क पर नहीं आने देने के कार्यों की विस्तृत समीक्षा मुख्य सचिव ने की। उन्होंने विभिन्न विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वे पशुओं को सड़कों पर आने से रोकने के कार्य की लगातार समीक्षा करें। उन्होंने अधिकारियों को इसके लिए विभागीय नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश भी दिए है।

बैठक में नगरीय प्रशासन एवं पंचायत विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मुख्य सचिव के निर्देशानुसार चिन्हांकित गौशालाओं, गौठान एवं कांजी हाऊस का गूगल मैप पर मैपिंग का कार्य पूर्ण कर लिया गया है, जिसे गूगल मैप में सर्च करने पर आसानी से निकटस्थ कांजी-हाऊस एवं गौशाला के लोकेशन का पता चल जाता है, उन्होंने बताया कि लेयरिंग का कार्य पूर्ण किया जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा चिन्हांकित 51 पाइंट्स को को-आर्डिनेट के साथ-साथ ग्रामों एवं नगरीय निकायों में भी मैपिंग कार्य किया गया है। दुर्घटना जन्य पाईंट को ध्यान में रखते हुए उसके निकट ही लोकेशन मैपिंग किया गया है, जिससे शीघ्र ही पशुओं को उनके लोकेशन में सुरक्षित पहुंचाया जा सके। मुख्य सचिव ने गूगल मैप के उपयोग हेतु अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को ग्राम पंचायतों, नगरीय निकायों, राजस्व विभाग, पुलिस सहित अन्य संबंधितों को उपलब्ध कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए है।

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न चयनित सड़कों पर करीब 51 स्थानों में 102 कर्मचारियों अधिकारियों की ड्यूटी पर तैनात कर दिया गया है तथा इन लोकेशन की पूर्ण जानकारी ग्रामवार मैपिंग हेतु उपलब्ध करा दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि आम लोगों द्वारा पशुओं के सड़क पर होने की जानकारी हेल्प लाइन नंबर 1033 पर दी जा सकती है। हाईवे पेट्रोलिंग के संबंध में एसओपी भी जारी कर दी गई है। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए है कि पशुओं की टैगिंग और रेडियम बेल्ट बांधने के कार्य में और तेजी लायी जाए।

अंतर्विभागीय लीड ऐजेंसी सड़क सुरक्षा के अध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि पुलिस और पशुधन विकास विभाग के अधिकारियों की टीम बनाकर विभिन्न प्रदेशों की सड़कों पर पशुओं को सड़कों पर आने से रोकने के लिए किया जा रहा प्रबंधन का अध्ययन किया गया है। टीम के अधिकारी सहायक पशु चिकित्सक डॉ. अविनाश शुक्ला और पुलिस विभाग के नीलकंठ वर्मा द्वारा भोपाल, जबलपुर, रायपुर से नागपुर और प्रयागराज से लखनऊ मार्ग पर पशुओं को सड़क पर आने से रोकने की व्यवस्थाओं की जानकारी हासिल की है। टीम के सदस्यों ने बताया कि प्रयागराज से लखनऊ मार्ग पर बेहतर व्यवस्था है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित इस बैठक में कृषि एवं पशुपालन विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास सचिव प्रसन्ना आर., नगरीय प्रशासन विभाग के विशेष सचिव डॉ. अयाज तम्बोली, संचालक पंचायत कार्तिकेय गोयल, पशु चिकित्सा सेवायें की संचालक चंदन त्रिपाठी सहित पुलिस विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग, लोक निर्माण, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सहित अन्य विभाग के अधिकारी शामिल हुए।

अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू ने सड़कों पर आवारा पशुओं के कारण हो रहे दुर्घटनाओं में जानमाल की क्षति को रोकने के लिए सभी जिला कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को प्रभावी व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जिला पंचायत, जनपद पंचायत तथा ग्राम पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की बैठक लेकर इस समस्या की ओर उनका ध्यान आकृष्ट कराने और इस समस्या के निदान पर उनकी सक्रिय सहभागिता सुनिश्चिित करने कहा है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार सभी ग्राम पंचायतों में और विशेष रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग तथा अन्य मुख्य राजमार्ग के पास स्थित कांजी हाउस अथवा गोठान में सड़क पर घूमते हुए आवारा पशुओं और मवेशियों को पकड़कर, कांजी हाऊस अथवा गोठानों में रखा जाये। पशुओं और मवेशियों के चारा-पानी एवं सुरक्षा का ध्यान भी रखा जाये। इन कार्याे में आवश्यकतानुसार पशु चिकित्सा विभाग से समन्वय कर जरूरी मदद ली जाए। कांजी हाउस और गौठान में जल निकास की समुचित व्यवस्था की जाए। गौठान परिसर में पशुओं के बैठने हेतु कीचड, आदि से मुक्त स्थान की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इस हेतु नरेगा या स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध अन्य मदों की राशि का. उपयोग किया जा सकता है।

दिशा निर्देश में यह भी कहा गया है सड़क पर आवारा पशुओं का स्थानीय आकलन, बसाहटवार कराते हुए निकटतम कांजी हाउस, गौशाला या गौठानों में पशुओं को रखने की क्षमता का भी आकलन कर लिया जाये। ऐसे आंकलन पश्चात् आवश्यकतानुसार नये कांजी हाउस की स्थापना के संबंध में नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित की जाए। यदि कोई पशु बाहर घूमता हुआ पकड़ा जाता है, तो उन पशुओं के मालिक के ऊपर पशु अतिचार अधिनियम 1871 के प्रावधान अनुसार दण्ड अधिरोपित किया जाए।

राष्ट्रीय राजमार्ग एवं मुख्य राजमार्ग के पास वाले ग्राम पंचायत जहां से ज्यादातर पशुओं की मुख्य सड़क में जाने की संभावना हो उस ग्राम पंचायत में व्यवहार परिवर्तन का कार्यक्रम चलाया जाये। जिससे पशु और मवेशी मालिक मवेशियों को बांध कर रखे तथा सड़कों में जाने से रोके। सड़कों पर घूम रहे आवारा मवेशियों की जानकारी देने हेतु नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा संचालित टोल फ्री नंबर 1100 पर शिकायत की जा सकती है। इस हेतु ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी, नगरीय प्रशासन विभाग से सामंजस्य स्थापित कर इस विभाग के अधिकारियों के नाम पोर्टल में अपलोड करे, ताकि उनसे आसानी से संपर्क किया जा सकें।

डेयरी उद्योग और पशु पालकों द्वारा पशुओं को सड़कों एवं आवागमन क्षेत्र में नहीं छोड़े जाने के संबंध में समझाईश दी जाए। इसके बाद भी सड़कों पर पशु पाए जाने पर नियमानुसार अर्थदण्ड एवं अन्य सुसंगत कार्यवाही करना सुनिश्चित की जाए। ग्राम पंचायत में स्थित कांजी हाउस और गोठान की जानकारी से समस्त नागरिकों को अवगत कराया जाये। घूमते पाये जाने वाले आवारा पशुओं हेतु पंचायत द्वारा निर्धारित दण्ड की जानकारी का भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। यदि नेशनल हाइवे अथॉरिटी के द्वारा नेशनल हाइवे में केटल ले एण्ड बे उपलब्ध होने पर इसके आस-पास वाले गौठानों में या कांजीहाउस में ले जाने की व्यवस्था की जाए।

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