Get all latest Chhattisgarh Hindi News in one Place. अगर आप छत्तीसगढ़ के सभी न्यूज़ को एक ही जगह पर पढ़ना चाहते है तो www.timesofchhattisgarh.com की वेबसाइट खोलिए.

समाचार लोड हो रहा है, कृपया प्रतीक्षा करें...
Disclaimer : timesofchhattisgarh.com का इस लेख के प्रकाशक के साथ ना कोई संबंध है और ना ही कोई समर्थन.
हमारे वेबसाइट पोर्टल की सामग्री केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और किसी भी जानकारी की सटीकता, पर्याप्तता या पूर्णता की गारंटी नहीं देता है। किसी भी त्रुटि या चूक के लिए या किसी भी टिप्पणी, प्रतिक्रिया और विज्ञापनों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
300 मिलियन डॉलर से छग में सुधरेगी शैक्षणिक व्यवस्था

नेशल अलर्ट/www.nationalert.in
छत्तीसगढ़ में शैक्षणिक व्यवस्था को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए विश्व बैंक से भी मदद मांगी गई है। विश्व बैंक ने 300 मिलियन डॉलर इस मद में स्वीकृत किए हैं।

विश्व बैंक जिसे वर्ल्ड बैंक के नाम से भी जाना जाता है अब छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा संचालित स्कूलों की क्वालिटी एजुकेश में सुधार के लिए मदद करने सामने आया है। वर्ल्ड बैंक की ओर से 300 मिलियन डॉलर देने की घोषणा पिछले दिनों की गई थी।

18.5 साल के लिए मिले
विश्व बैंक द्वारा दी गई यह मदद 18.5 साल के लिए जारी रहेगी। इस अवधि में छत्तीसगढ़ शासन को लोन की यह राशि विश्व बैंक को लौटानी है। यदि किसी कारणवश समय पर कर्ज भुगतान नहीं हो पाया तो ग्रेस पिरीयड के रूप में अतिरिक्त पांच साल मिलेंगे।

वैश्विक वित्तीय संस्था विश्व बैंक ने राशि स्वीकृत करते समय कहा था कि इस प्रोजेक्ट का मकसद 4 मिलियन छात्रों को फायदा पहुंचाना है। ये वो छात्र हैं जो कि छत्तीसगढ़ के शासकीय शालाओं में अध्ययनरत हैं। इनमें से ज्यादातर गरीब और कमजोर समुदायों के बच्चे हैं।

दूर होगी कमी
विश्व बैंक का मानना है कि उच्चतर माध्यमिक शालाओं में छत्तीसगढ़ में विज्ञान और वाणिज्य शिक्षा का स्तर बेहतर नहीं है। दरअसल विज्ञान और गणित के प्रशिक्षित अध्यापक इन शालाओं में बेहद कम हैं।

राज्य में जितने भी स्कूल संचालित किए जाते हैं उनमें से 86 फीसदी शासकीय स्तर की शालाएं हैं। प्रारंभिक स्तर विद्यालयों में नामांकन 95 फीसदी है। जो कि उच्चतर स्तर पर 57.6 प्रतिशत है। और लड़कों का नामांकन लड़कियों के मुकाबले 10.8 प्रतिशत कम है।

विज्ञान प्रयोगशाला की स्थिति तो और भी ज्यादा गई गुजरी है। संभवत: इसी के चलते विद्यार्थी शासकीय स्कूलों से दूर ही रहते हैं। इसके अलावा दूर दराज के क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों को आवास की समस्या का भी सामना करना पड़ता है।

हालांकि केंद्र के स्तर पर समग्र शिक्षा कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इससे लड़कियों के लिए तो आवास की समस्या कुछ हद तक कम हो गई है लेकिन यह सुविधा लड़कों को नहीं मिल पा रही है क्योंकि उनके लिए ऐसी कोई योजना नहीं है।

इन्हीं सब कारणों से पहली से बारहवीं तक के चुनिंदा 600 स्कूलों को मदद करने विश्व बैंक ने 300 मिलियन डॉलर की सहायता राशि मंजूर की है। इस राशि से विज्ञान और वाणिज्य की पढ़ाई इन शालाओं में उपलब्ध कराई जाएगी।

ये स्कूल सीखने के लिए प्रशिक्षित अध्यापकों के जरिए क्वालिटी एजुकेशन, मजबूत स्कूल लीडरशिप और मैनेजमेंट व पर्याप्त ढांचागत सुविधाएं देंगे। भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर अगस्टे तानो कौमे ने कहा, ‘यह प्रोजेक्ट सीनियर सेकेंड्री लेवल पर विज्ञान और वाणिज्य शिक्षा की पेशकश करते हुए सरकार प्रबंधित स्कूलों के नेटवर्क विस्तार में मदद करेगा।’

कौमे के कहे अनुसार “यह प्रोजेक्ट छत्तीसगढ़ में निर्माण और सेवा क्षेत्रों में इंजीनियरिंग रोजगार के अवसरों के लिए छात्रों को तैयार करने में मदद करेगा।” इस प्रोजेक्ट के तहत डेढ़ लाख से ज्यादा अध्यापकों के पेशेवर विकास में मदद मिलेगी।

http://www.nationalert.in/?p=11377