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Chaitra Navratri : 50 वर्षों के बाद चतुर्योग में पूरे नौ दिनों की है नवरात्रि, पूरे साल शनि और मंगल का प्रभाव

मंगलवार 9 तारीख को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है, यानि की इसी दिन से नवरात्रि (Chaitra Navratri २०२४) प्रारम्भ हो रही है| माँ आदि शक्ति चूँकि प्रकृति स्वरूपा भी हैं. अत: प्राचीन काल से ही प्रकृति जनित बाधाओं से भी भयभीत होकर मनुष्य ने माँ के आराधना की है। प्रत्येक युग में शक्ति स्वरूपा नारी, परिवार और समाज का केन्द्र रही है। यदि प्रत्येक युग में रक्षा का कारक पुरुष रहा है तो एक पुरुष को जन्म देकर समाज को सुरक्षा को सुनिश्चित करने का कार्य भी नारी ने ही किया है।

माँ आदि शक्ति को मातृ स्वरूप में पूजे जाने का कारण हमारा सभी के समक्ष यह प्रश्न अवश्य प्रस्तुत करता है कि देवो को पितृ स्वरूप मे हम यदा-कदा ही याद करते हैं, लेकिन ऐसा क्या कारण है कि आदि शक्ति का स्मरण आते ही ‘माँ’ शब्द अपने आप ही हमारी जिव्हा और मन के अंत:करण दोनों  ही पर आ जाता है।

50 वर्षों के बाद चतुर्योग में पूरे नौ दिनों की है नवरात्रि

ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार मंगलवार 9 तारीख कों चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है याने इसी दिन से नवरात्रि Chaitra Navratri २०२४ प्रारम्भ हो रही है| रेवती और अश्विनी जैसे मूल नक्षत्रों में शुभ, अमृत सिद्धि ,शश और सर्वार्थ सिद्धि योग की युति में प्रारम्भ हो रही नवरात्रि में तृतीया, चतुर्थी और पंचमी को क्रमश:,प्रीति, आयुष्मान,सौभाग्य और शोभन जैसे शुभ योग पड़ रहे हैं, जो की पिछले पचास वर्षों में नही पड़े| यह नवरात्रि पूरे नौ दिनों की है| शुक्र के उच्च के होने से यह नवरात्रि ऐश्वर्य प्रदायक है|

 

प्रारम्भ हो रहा है “कालयुक्त” नाम का संवत्सर

होस्केरे के अनुसार 09 अप्रैल को हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2081 का पहला दिन होगा और इस दिन शुभ, अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और शश राजयोग का संयोग बन रहा है. इस बार विक्रम संवत 2081 के राजा मंगल होंगे और मंत्री शनिदेव होंगे. ऐसे में पूरे साल शनि और मंगल का प्रभाव बना रहेगा|

*घट स्थापन मुहुर्त*

  • अभिजीत  मुहुर्त : प्रात: 11.36 बजे से 12.24 बजे तक|

सभी इच्छाओं की पूर्ति  के लिए इस मुहूर्त में माता जी का आव्हान करें|

  • वृषभ लग्न में : प्रात: 7.48 बजे से 9.47 बजे तक

कर्ज से मुक्ति और आय बढाने के लिए महाकाली महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन नौ दिनों के लिए प्रारम्भ करें|

  • सिंह लग्न में : दोपहर 2.15 बजे से 4.25 बजे तक|

न्यायिक सफलता,शान्ति और राजनीतिक सफलता और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा सप्त शती के 11वें अध्याय का पाठ नौ दिन करें|

  • वृश्चिक लग्न में : रात्रि 8.47 बजे से 11.02 बजे तक|

संतान प्राप्ति और सभी क्षेत्र में सफलता के लिए देवी कवच का नौ दिनों के लिए पाठ प्रारम्भ करें|

https://npg.news/festival/chaitra-navratri-50-varshon-ke-baad-chaturyog-mein-poore-nav-dinon-ki-hai-navaratri-poore-saal-shani-aur-mangal-ka-prabhaav-1263619