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EOW छापा बिग ब्रेकिंग: दो पूर्व IAS, आबकारी अधिकारियों समेत वेलकम, केडिया और भाटिया डिस्टिलरी के 14 ठिकानों पर छापा

EOW raid: रायपुर। शराब घोटाला में ईओडब्ल्यू एसीबी की बड़ी कार्यवाही की सूचना आ रही है। EOW ने आबकारी स्कैम में बड़ी कार्रवाई करते हुए 14 बड़े लोगों के ठिकानों पर दबिश दी है।

ईओडब्ल्यू ने जिन लोगों के ठिकानों पर दबिश दी है इनमें पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढँड, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, सरकारी शराब कंपनी के पूर्व एमडी अरुण पति त्रिपाठी, आबकारी अधिकारी सौरभ बख्शी, अशोक सिंह, अरविंद सिंह, सिद्धार्थ सिंघानिया शामिल हैं।

इसके अलावा छत्तीसगढ़ के तीनों बड़े डिस्टिलरी केडिया, वेलकम और भाटिया ग्रुप के ठिकानों पर भी eow की टीम पहुँची है। अरुण पति चूंकि जेल से निकलने के बाद से ग़ायब हैं। सो eow की टीम उनके घर के बाहर बैठी है। eow के अफ़सरों ने बताया कि 150 अफ़सरों की टीम इस छापे के लिए लगाई गई है। इससे पहले विशेष न्यायाधीश निधि शर्मा की कोर्ट से eow ने सर्च वारंट लिया और तड़के 14 ठिकानों पर धमक गई। बता दे, ईड़ी के प्रतिवेदन पर eow ने केस दर्ज किया था, उसी मामले में आज कार्रवाई हुई है।

बतादें की ईडी के पत्र के आधार पर एसीबी ईओडब्ल्यू ने इसी साल जनवरी में एफआईआर दर्ज किया है। ईडी की सूचना के आधार पर ईओडब्‍ल्‍यू में दर्ज एफआईआर में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को शराब घोटाला का मास्‍टर माइंड बताया गया है। एफआईआर में शामिल बाकी आईएएस व अन्‍य सरकारी अफसर और लोग सहयोगी की भूमिका में थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्‍सा इन्‍हीं तीनों को जाता था। टुटेजा आईएएस अफसर हैं, जब यह घोटाला हुआ तब वे वाणिज्‍य एवं उद्योग विभाग के संयुक्‍त सचिव थे। दूरसंचार सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आए त्रिपाठी आबकारी विभाग के विशेष सचिव और छत्‍तीसगढ़ मार्केटिंग कार्पोरेशन के एमडी थे। वहीं, ढेबर कारोबारी हैं। एफआईआर के अनुसार ढेबर और टुटेजा ने मिलकर पूरी प्‍लानिंग की थी।

इन लोगों ने परिवार के सदस्‍यों के नाम पर किया निवेश

एफआईआर के अनुसार अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से प्राप्‍त रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया। वहीं, त्रिपाठी ने अपनी पत्‍नी अपनी पत्‍नी मंजूला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाया जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्रइवेट लिमिटेड था। वहीं, ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों के फर्म में पैसे का निवेश किया।

जानिए…शराब घोटाला में क्‍या है विवेक ढांड की भूमिका

एफआईआर में छत्‍तीगसढ़ के पूर्व मुख्‍य सचिव विवेक ढांड का भी नाम है। ढांड पर टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के शराब सिंडीकेट को संरक्षण देने का आरोप है। इसके लिए ढांड को सिंडीकेट की तरफ से राशि भी दी जाती थी। रिपोर्ट के अनुसार इस बात का खुलासा 2020 में ढांड के यहां आयकर विभाग के सर्च के दौरान मिले दस्‍तावेजों से हुआ है।

जानिए.. मंत्री लखमा और सचिव दास को कितना मिलता था कमीशन

प्रदेश में बड़े स्‍तर पर हुए शराब घोटाला में तत्‍कालीन विभागीय मंत्री कवासी लखमा को हर महीने 50 लाख रुपये हिस्‍सा मिलता था। एफआईआर के अनुसार लखमा के साथ ही विभागीय सचिव आईएएस निरंजन दास को भी सिंडीकेट की तरफ से 50 लाख रुपये हर महीने दिया जा रहा था।

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