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Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि क्यों होती है हिन्दू धर्म के लिए खास, जानें महाशिवरात्रि से जुड़ी सभी बातें

नई दिल्ली : हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है। देशभर में इस पर्व को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। आज के दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जानिए महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, उपाय, ज्योतिर्लिंग सहित हर एक चीज।

महाशिवरात्रि मनाने का कारण
-महाशिवरात्रि मनाने के पीछे तीन कथाएं प्रचलित है।

-पहली कथा के अनुसार इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था।

-दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महानिशीथ काल में भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए थे।

-एक अन्य कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन 64 जगहों पर शिवलिंग प्रकट हुए थे। जिसमें से केवल 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में पता है।

महाशिवरात्रि 2023 तिथि
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि 17 जनवरी को रात्रि 8 बजकर 2 मिनट से शुरू हो रही है, जो 18 फरवरी को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए महाशिवरात्रि का पर्व आज मनाया जा रहा है।

महाशिवरात्रि चार प्रहर मुहूर्त
शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव की पूजा रात्रि चार प्रहर के समय पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इन प्रहर में भगवान शिव का अभिषेक करने के साथ विधिवत पूजा करने से वह जल्द प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

बेलपत्र तोड़ने के नियम
भगवान शिव को बेलपत्र अति प्रिय है। माना जाता है कि जलाभिषेक करने के साथ भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से वह जल्द प्रसन्न होते हैं। लेकिन बेलपत्र तोड़ने के कुछ नियम है जिनका पालन करना बेहद जरूरी है। बेलपत्र किस दिन नहीं तोड़ना चाहिए और किस दिन तोड़ने चाहिए।

बेलपत्र चढ़ाने के नियम
शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते समय कुछ नियमों का ध्यान रखा जाए, तो वह जल्द प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। आइए जानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को किस तरह चढ़ाएं बेलपत्र।

राशि के अनुसार ऐसे करें शिव जी की पूजा
शिवरात्रि के दौरान भगवान शिव का उत्सव मनाना एक गहरा आध्यात्मिक और संतोषप्रद अनुभव हो सकता है। अपनी राशि को अपने उत्सव में शामिल करके, आप ईश्वर के साथ अपने संबंध को बढ़ा सकते हैं और अपनी साधना को गहरा कर सकते हैं। याद रखें किउत्सव का सबसे महत्वपूर्ण पहलू आपका इरादा और भगवान शिव के प्रति समर्पण है। इसलिए, उन प्रथाओं को खोजें जो आपके साथ प्रतिध्वनित होती हैं और इस शुभ अवसर को खुले दिल और शांतिपूर्ण मन से मनाएं।

महाशिवरात्रि पर क्या करें और क्या नहीं
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। माना जाता है कि इन नियमों का ठीक ढंग से पालन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

भगवान शिव को न करें ये चीजें अर्पित
शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करते समय कुछ चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। कुछ ऐसी चीजें है जिन्हें भगवान शिव को चढ़ाना वर्जित है।

शिवलिंग पर करें ये चीजें अर्पित
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की विधिवत पूजा करने और व्रत रखने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही हर तरह के दुखों से निजात मिल जाती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने के साथ शिवलिंग में कुछ चीजें जरूर अर्पित करनी चाहिए।

महाशिवरात्रि पर करें ये उपाय
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि भगवान शिव की उपासना से चार प्रमुख ग्रह राहु, शनि, चंद्र और मंगल दोष के दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं। महाशिवरात्रि पर कौन से उपाय करना होगा शुभ।

ज्योतिष शास्त्र में इस संयोग के लिए कुछ खास उपाय बताए गए हैं, जिनका पालन करने से भक्तों को भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। महाशिवरात्रि के दिन किन उपायों से प्रसन्न होंगे महादेव।

शिव जी के इन 108 नामों का जाप
भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। भगवान शिव के 108 नामों से बने इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को हर कष्ट से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

महाशिवरात्रि पर ऐसे करें रुद्राक्ष धारण
भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुए रुद्राक्ष को धारण करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही कई रोगों से भी बचाव होता है। महाशिवरात्रि पर रुद्राक्ष किस तरह से धारण करना होगा शुभ।

महाशिवरात्रि पर पढ़ें पार्वती और शिव चालीसा
महाशिवरात्रि के दिन जलाभिषेक करने के साथ-साथ माता पार्वती और शिव जी की चालीसा पढ़ना लाभकारी सिद्ध होगा। शिव-पार्वती चालीसा का पाठ करने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाएगा।

महाशिवरात्रि पर ऐसे करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप
वेद-शास्त्रों में भगवान शिव के कई स्वरूपों का वर्णन किया गया है। इन्हीं रूपों में से एक है महामृत्युंजय स्वरूप। माना जाता है कि इस स्वरूप में भगवान शिव अपने हाथों में अमृत लेकर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

भगवान शिव गले में क्यों धारण किए हैं नागराज
भगवान शिव के इस स्वरूप से हम सब भी परिचित हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भोलेनाथ के गले में लिपटे हुए सांप के पीछे अत्यंत रोचक कथा है।

सोमनाथ मंदिर
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ मंदिर में बाबा के दर्शन करना हर कोई चाहता है, लेकिन अगर किसी कारणवश आप दर्शन के लिए नहीं जा रहे हैं, तो घर बैठे भी दर्शन कर सकते हैं। जिसमें ना सिर्फ घर बैठे साक्षात दर्शन को संभव बनाया है, बल्कि पूरी पूजा को लाइव देखने की भी सुविधा दी है।

जानिए रामेश्वरम मंदिर
रामेश्वरम मंदिर को हिंदुओं के पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यह मंदिर बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के चारों ओर से घिरा हुआ है। माना जाता है कि यहां पर पूजा पाठ करने से ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिल जाती है।

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
भगवान शिव के नौवें ज्योतिर्लिंग बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को माना जाता है। माना जाता है कि यहां पर बाबा के दर्शन करने मात्र से व्यक्ति को हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है और सुख-शांति, धन-वैभव की प्राप्ति होती है। बैद्यनाथ

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में तीन छोटे शिवलिंग हैं, जिन्हें त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप में पूजा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और पूर्व जन्म व इस जन्म में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
वैदिक पुराणों में बताया गया है कि काशी में भगवान विष्णु के अश्रु गिरे थे, जिससे बिंदु सरोवर का निर्माण हुआ था। साथ ही पुष्कर्णी का निर्माण भी उन्हीं के चिंतन से हुआ था।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
भगवान शिव के छठे और महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की, जो महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर सह्याद्रि पर्वत पर स्थित हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। इन्हीं में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए भी बड़ी संख्या में शिव भक्त मध्य प्रदेश के शिवपुरी में एकत्रित होते हैं। कहा जाता है कि यहां के तट का आकार ‘ॐ’ रूप में है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
12 ज्योतिर्लिंग में उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्थान को पृथ्वी का नाभि स्थल भी कहा जाता। बता दें कि इस मंदिर के शिखर से कर्क रेखा पार करती है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग जिस शैल पर्वत पर स्थापित है, उसे दक्षिण के कैलाश के रूप में भी जाना जाता है। इस मंदिर का खासियत यह है कि यहां भगवान शिव और माता पार्वती के संयुक्त रूप दर्शन होते हैं।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ मंदिर को देश के प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे स्थित इस मंदिर में देश-विदेश से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन करने से सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है।

https://theruralpress.in/2023/02/17/why-is-mahashivratri-special-for-hindu-religion-know-all-the-things/