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Meerut News: किसान ने SDM दफ्तर के सामने खुद को लगाई आग, हालत गंभीर, DM ने 48 घंटे में मांगी रिपोर्ट…

Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में एक किसान के आत्मदाह के प्रयास का मामला सामने आया है. शुक्रवार को मेरठ के मवाना में किसान ने खुद को आग लगाकर आत्महत्या की कोशिश की. बताया जा रहा है किसान की जमीन को सरकारी बताकर वन विभाग ने उसपर कब्ज़ा कर लिया जिसके विरोध में किसान ने एसडीएम कार्यालय के सामने आत्मदाह का प्रयास किया. इस घटना से वहां हडकंप मच गया. किसान की हालत अभी गंभीर बताई जा रही है. मामले की सख्ती से जांच करते हुए डीएम ने 48 घंटे में रिपोर्ट मांगी है.

जानकारी के मुताबिक़ किसान की पहचान अलीपुर मोरना निवासी जगबीर (53) के रूप में हुई है. गुरुवार को वन विभाग की एक जमीन (खसरा संख्या 854) पर किसान का कब्ज़ा पाया गया.वन विभाग द्वारा तहसील दिवस पर प्राप्त शिकायतों के क्रम में राजस्व की टीम के साथ मौके पर जाकर कब्जा की गई जमीन को कब्जा मुक्त करा कर जमीन को वन विभाग को दिया गया. जिसके विरोध में किसान ने शुक्रवार को दोपहर करीब 12:30 बजे मवाना के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) कार्यालय के सामने खुद को आग लगाकर आत्महत्या की कोशिश की. किसान 70 फीसदी से अधिक गया है जिसके कारण उसकी हालत गंभीर है. किसान को इलाज के लिए मेरठ मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया है. किसान के जेब से प्रार्थना पत्र मिला है, जिसमें लिखा है कि उसकी जमीन वन विभाग ने कब्जा बता कर ले ली है, जिसकी सही तरीके से जांच करायी जाये.

वहीँ क्षेत्रीय वन अधिकारी का कहना है कि किसान ने जितने भी आरोप लगा रहा है वो सभी गलत है. पिछले कई वर्षों से किसान ने वन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा था. जिसे अभियान के तहत ट्रैक्टर चलाकर अतिक्रमण मुक्त कराया गया और वन विभाग ने इस जमीन को अपने कब्जे में ले लिया. किसान जगबीर के आत्मदाह के प्रयास के मामले में डीएम दीपक मीणा ने जांच बैठा दी है और 48 घंटे में रिपोर्ट मांगी है. साथ ही डीएम ने कहा जो भी दोषी पाया जायेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. 

इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए ट्वीट कर कहा : उप्र में भाजपा के तथाकथित अमृतकाल की इससे दुर्भाग्यपूर्ण तस्वीर और क्या हो सकती है कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ समझे जानेवाला किसान आज अपनी ज़मीन को बचाने के लिए ख़ुद को आग लगाने पर मजबूर हो रहा है. मेरठ में वन विभाग द्वारा अपनी ज़मीन हड़पे जाने के बाद कई बार कोशिश करने पर भी सुनवाई न होने से हताश होकर ख़ुद को आग लगानेवाले किसान को सबसे पहले अच्छे से अच्छा इलाज सुनिश्चित कर बचाया जाए और फिर उसकी ज़मीन लौटाई जाए भाजपा खेती और किसान दोनों को विरोधी है. जबसे भाजपा आई है तबसे उसकी बुरी नज़र किसानों की ज़मीन पर भी है और उनकी पैदावार पर भी. चाहे भूमि के अधिग्रहण का क़ानून रहा हो, खाद की बोरी में चोरी, महँगे बीज, बिजली, सिंचाई के रूप में लगातार बढ़ती कृषि लागत और फसल की लगातार घटती क़ीमत या काले क़ानून सब भाजपा की किसान विरोधी सोच का उदाहरण हैं. किसान भाजपा का दाना-पानी उठा देंगे

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