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Navratri Special: 107 वर्षीय कल्याणी मैया ने अन्न-जल त्याग कर शरीर पर बोए जवारे…

अंबाह। नवदुर्गा महोत्सव…यानि विज्ञान पर भारी आस्था का एक ऐसा उत्सव है, जिसके अजब-गजब नजारे लोगों को उत्सुक कर रहे हैं। कोई अन्न-जल त्याग कर शरीर पर जवारे बो कर मां की भक्ति कर रहा है, तो कोई दंडवत परिक्रमा करते हुए मैय्या के दरबार में अपनी अर्जी लगा रहा है।

तहसील मुख्यालय अंबाह में स्थित है कोल्ड वाली माता के नाम से मंदिर, जिसकी महंत 107 वर्ष की कल्याणी मैय्या हैं। कल्याणी मैय्या ने नवरात्र में अन्न-जल त्याग कर अपने शरीर पर जवारे बोए हैं। हैरत की बात यह है कि इतनी अधिक उम्र होने के बाद भी कल्याणी मैय्या ने 9वीं बार अपना संकल्प पूरा करने के लिए जवारे बोए हैं।

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मैया बताती हैं कि अपना शरीर सहित जवारे चढ़ाने से मातारानी प्रसन्न होकर मनवांछित फल देती हैं। बता दें कि कल्याणी मैय्या ने नवदुर्गा शुरू होने से सात दिन पहले ही अन्न-जल त्यागकर खुद को इस हठयोग के लिए तैयार किया। इसे ईश्वर की कृपा ही कहेंगे कि उन्हें भूख-प्यास तक महसूस नहीं हो रही।

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कोल्ड वाले मंदिर में अन्न-जल त्यागकर तप कर रहीं कल्याणी मैय्या के पास बाहर के लोगों को आने-जाने की सख्त मनाही है। उनके तपस्या स्थली पर लगे सीसीटीवी कैमरे से ही लोग उनके दर्शन करने पहुंच रहे हैं।

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नगरकोट से ज्योतिस्वरूप में स्थापित हुई थीं मां भगवती

अंबे आश्रम अंबाह की महंत कल्याणी मैया का जन्म 1916 में डबरा के मस्तूरा गांव में हुआ था। पिता की इकलौती संतान कल्याणी मैय्या ने चपटिया वाले महाराज के सानिध्य में मात्र 9 वर्ष की उम्र में वैराग्य धारण किया। 25 साल अयोध्या में बिताने के बाद तीर्थ करते हुए यह नगरकोट पहुंची। जहां ज्वाला देवी के आदेश पर ज्योति स्वरूप में ही मां भगवती को लेकर आई थीं। 1990 में अंबाह पिनहाट रोड कोल्ड स्टोर के बगल भक्तों के सहयोग से मंदिर का निर्माण हुआ। जिसमें भगवती की प्राण प्रतिष्ठा की गई।

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