0 शमी इमाम
जशपुर। छत्तीसगढ़ में रेडी टू ईट की अफरातफरी का खेल रुक नहीं पा रहा है। बलरामपुर और कोरबा के बाद आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले में तो एक परियोजना में सितम्बर के महीने में रेडी टू ईट पहुंचा ही नहीं और सप्लायर ने विभाग में 628 बोरा आहार पहुंचाने की पावती भी जमा कर दी। अगले महीने जब पर्यवेक्षकों ने इसकी शिकायत की तो अब आनन-फानन में रेडी टू ईट का स्टॉक पहुंचाया जा रहा है।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की उत्पादनकर्ता फर्म छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड को शासन की कुपोषण नियंत्रण की महत्वाकांक्षी योजना रेडी टू ईट के निर्माण एवं वितरण का काम जब से दिया गया है, तब से अलग-अलग जिलों में वितरण में अनियमितता की शिकायतें आने लगी हैं। पहले बलरामपुर, फिर कोरबा, और अब जशपुर जिले से इसी तरह की खबर आ रही है।
जशपुर जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की मनोरा परियोजना में 9 सेक्टर आते हैं और इनके अधीन लगभग 350 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इन केंद्रों में पहुंचने वाला रेडी टू ईट फ़ूड बच्चों के अलावा गर्भवती और शिशुवती महिलाओं को भी बांटा जाता है। मनोरा के एक सेक्टर को छोड़कर बाकी स्थानों में सितम्बर के महीने में रेडी टू ईट नहीं पहुंचा। जामपाठ सेक्टर की सुपरवाईजर जानकी भगत ने परियोजना अधिकारी लिली कुजूर को बताया कि उसके प्रभार वाले घाघरा सेक्टर में 29 सितम्बर को रेडी टू ईट पहुंचाया गया, वहीं जामपाठ में पूरे महीने रेडी टू ईट नहीं पहुंचा। इसके साथ ही अन्य सभी सेक्टर सुपरवाइजर्स ने भी 2 दिन पहले ही रेडी टू ईट नहीं पहुँचने की लिखित शिकायत की। सभी ने बताया कि सितम्बर के महीने में रेडी टू ईट नहीं बांटा जा सका। इसी के आधार पर परियोजना अधिकारी लिली कुजूर ने जिला कार्यक्रम अधिकारी, जशपुर अरुण पांडेय को सितंबर के महीने में रेडी टू ईट नहीं बंटने की जानकारी दी।
मनोरा ब्लॉक में रेडी टू ईट नहीं पहुंचने को लेकर जब TRP न्यूज़ संवाददाता ने दूरभाष पर जशपुर DPO अरुण पांडेय से सवाल किया तो उन्होंने बड़े ही दावे के साथ कहा कि रेडी टू ईट सभी केंद्रों में पहुंच गया है। लेकिन जब सेक्टर सुपरवाइजरों द्वारा सितंबर के महीने में रेडी टू ईट का वितरण नहीं होने की बात कही गई है, तब DPO ने सफाई दी कि पूर्व के महीनों का जो स्टॉक बचा हुआ था उसे सितम्बर के महीने में बांटा गया है।
DPO के दावे की पुष्टि करने के लिए हमने जब सेक्टर सुपरवाइजर से संपर्क किया तब बताया गया कि उनकी लिखित शिकायत के बाद सप्लायर ने कल-परसों ही आनन-फानन में रेडी टू ईट पहुंचाया है, और वो भी अधिकांश स्टॉक को पंचायतों में छोड़कर चला गया। जबकि कायदे से रेडी टू ईट मनोरा परियोजना के गोदाम में पहुंचना था, जहां से हितग्राहियों के लिए 350 आंगनबाड़ी केंद्रों को वितरण किया जाना था। सुपरवाईजर ने यह भी स्पष्ट किया कि सितंबर के महीने में मनोरा परियोजना ब्लॉक के किसी भी सेक्टर के आंगनबाड़ी केंद्र से रेडी टू ईट नहीं बांटा जा सका है। उधर वितरण से जुड़े कर्मचारी यासीन ‘गुड्डू’ का कहना है कि उन्हें देर से रेडी टू ईट मिला, इसलिए बांटने में भी विलंब हुआ है।
इस प्रकरण के संबंध में एक जानकारी यह भी मिली है कि राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड, रायपुर द्वारा उत्तरप्रदेश के ट्रांसपोर्टर ‘सिंह रोड लाइन्स’ को जशपुर जिले तक रेडी टू ईट का परिवहन करने का ठेका दिया गया है। जशपुर के अलावा कुछ अन्य जिलों का परिवहन ठेका भी इसी ट्रान्सपोर्टर को दिए जाने की जानकारी मिली है। सवाल यह उठता है कि क्या बीज निगम को अपने राज्य में कोई सक्षम ट्रांसपोर्टर नहीं मिला जो यह काम बाहर के ट्रांसपोर्टर को दिया गया है।
गौरतलब है कि एक दिन पूर्व ही TRP न्यूज़ ने कोरबा जिले में बच्चों का रेडी टू ईट फूड तबेलों में खपाये जाने का खुलासा किया था। इस संबंध में संवाददाता ने महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया से उनका पक्ष जानना चाहा तब उन्होंने इसे गंभीर मानते हुए कहा कि यह तो बच्चो के अधिकारों का हनन है, और जो भी शख्स इस कृत्य में लिप्त है उसे भी इसके बारे सोचने की जरुरत है। अनिला भेड़िया ने बताया कि जैसे ही कोरबा जिले में रेडी टू ईट की अफरा-तफरी की जानकारी मिली, उन्होंने तत्काल अधिकारियों को तलब कर एक टीम बनाकर मामले की जांच का निर्देश दिया है। जांच में जो भी दोषी पाया जायेगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
छग राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के MD माथेश्वरन वी. ने रेडी टू ईट की अफरा-तफरी को लेकर TRP न्यूज़ से कहा कि गलती कहां हो रही है, इसका पता लगाया जायेगा, वहीं जिन जिलों में गड़बड़ी पकड़ी गई है, वहां के कलेक्टर्स से वे चर्चा करेंगे और दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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