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इस बार भी जितायेगी घोषणा पत्र, कांग्रेस या भाजपा को

जयदीप शर्मा

पाठकों को वर्ष 2018 का कांग्रेस का घोषणा पत्र याद होगा । जिसे श्री टी.एस.सिंहदेव ने तैयार किया था। अद्भुत सूझबूझ के साथ सिंहदेव ने वह घोषणा पत्र तैयार किया था। घोषणा पत्र ऐसा था कि भाजपा के पास उसका कोई काट नहीं था। इस घोषणा पत्र ने ही कांग्रेस को आश्चर्यजनक रूप से 68 सीटों पर जीत दिलाई थी और छ.ग. में 15 वर्षो के भाजपा शासन का इस बुरी तरह से पतन हुआ कि वह 15 वर्षों के शासन के बाद 15 सीटों तक सिमट गई। चुनाव में कई दिग्गज तिनके की तरह उड़ गए लेकिन शहरी क्षेत्र के कुछ दिग्गजों ने फिर भी अपनी सीटें बचा ली। इसमें बृजमोहन अग्रवाल रायपुर भी एक थे।

अब हम यह बात भली तरह से जानते हैं कि 2018 के चुनाव में किसानों ने भाजपा को हरा दिया। घोषणा पत्र में 2500 रूपए में एक एकड़ में 15 क्विंटल धान खरीदी के अलावा बोनस एवं बिजली बिल हाफ जैसे प्रमुख मुद्दों ने भाजपा के 15 वर्षो के एकछत्र शासन को ध्वस्त कर दिया। उस समय भाजपा के दिग्गज नेताओं के दिमाग में यह बात नहीं आई कि किसान जैसे निरीह एवं तुच्छ तबके के लोग किसी को जिताने और किसी को हराने की कूबत रखते हंै। कांग्रेस के घोषणा पत्र में छ.ग. को 36 मुद्दों पर सुविधाएं मुहैय्या कराने की बात कही गई थी जिसमें से कुछ मुद्दों को छोड़कर शेष मांगें पूरी कर दी गई है।

ऐसा भी नहीं है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा का 15 वर्षो का शासन बुरा अथवा बहुत बुरा था। यद्यपि इसमें एन्टी इन्काम्बेंसी वाली बात अवश्य थी। एक बड़ा वर्ग यह अवश्य चाहता था कि शासन सूत्र के संचालन में कुछ तो बदलाव आए। पर यह बदलाव किसान लायेंगे और वह भी 90 में से 68 सीटों के बहुमत के साथ, यह बात भाजपा के राज्य स्तर से लेकर केन्द्र स्तर के नेताओं के ध्यान में नहीं थी।

ज्ञात रहे कि एक रूपए किलो (प्रति व्यक्ति 7 किलो महीने) तब भी था, अब भी है, कुछ जनहित की सामान्य योजनाएं भाजपा शासन में भी थी और कांग्रेस सरकार में भी है। केन्द्र सरकार लम्बे अरसे से 5 किलो चांवल मुफ्त में दे ही रही है। महिलाअें – बालिकाओं के स्वस्थ्य से संबंधित लाभ उन्हें अब भी मिल रहा है। इसी तरह छात्राओं को 9वीं कक्षा में मुफ्त सायकल का लाभ भी अब भी मिल रहा है। इसी तरत कुछ और भी छिटपुट योजनाओं का लाभ अब तक दिया जा रहा है।

तो फिर ऐसी कौन सी बात थी कि जनता ने भाजपा के 15 वर्षो के शासन को इस बेरहमी से रौंद दिया कि वह 15 सीटों तक सिमट कर रह गई (शुक्र है कि उनकी हालत दिल्ली जैसी नहीं हुई) मेरे ख्याल से भाजपा के राज्य एवं केन्द्रीय संगठन के नेताओं के दिमाग में अब जाकर यह बात आ गई होगी कि छ.ग. के बहुसंख्यक किसानों को 2500 रू. प्रति क्विंटल धान खरीदी उस पर बोनस तथा बिजली बिल हाफ और इसी तरह की अन्य योजनाओं ने प्रभावित किया। इसी में शिक्षित बेरोजगारों को 2500 रूपया बेरोजगारी भत्ता देने की योजना भी थी जिसका लाभ पात्र शिक्षित बेरोजगारों को अब जाकर मिलने लगा है। इसके अलावा शराब बंदी (जिसे कांग्रेस सरकार ने पूरा नहीं किया है) तथा इंदिरा आवास (शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में) सिंचाई के लिए विद्युत बिल में छूट जैसी अन्य योजनाएं शामिल थी।

वर्तमान में तो स्थिति ऐसी है कि कांग्रेस सरकार ने एक एकड़ में 20 क्विंटल धान 2800 रूपये में खरीदने प्लस बोनस सहित शिक्षा स्वास्थ्य (5 लाख रूपये तक की नि:शुल्क चिकित्सा आयुष्मान कार्ड के तहत् ) नए कालेज, बीएड, डीएड टे्रनिंग कालेज, नए जिले, तहसील तथा उप तहसील खोलने की घोषणा, भवन – सड़क बनाने करोड़ों रूपयों की इतनी योजनाएं कार्यान्वित की जा रही है कि उन सबका उल्लेख करने पर इस अखबार के पूरे एक पृष्ट भी कम पड़ेंगे।

ऐसे में वर्ष 2023 के आम चुनाव में एक बार पुन: कसौटी, घोषणा पत्र जारी करने को लेकर है। कांग्रेस ने इस बार टी.एस.सिंहदेव के बदले मंत्री मो. अकबर को यह जिम्मेदारी सौंपी है जो आम जनता की नब्ज पहचानने के लिए सिंहदेव जैसे ही काबिल एवं चतुर है। देखना है कि कांग्रेस एवं भाजपा वर्ष 2023 के आम चुनाव के लिए अपने घोषणा पत्र में किन चमत्कारिक एवं लोक लुभावन तथा महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल करती है। फिलहाल तो कांग्रेस एवं भाजपा एक दूसरे के खिलाफ आरोप पत्र लाने में मशगूल हैं। यद्यपि इन आरोप पत्रों का आज की राजनीति में कोई विशेष प्रभव नहीं पड़ता क्योंकि आम जनता इसे राजनैतिक पैतरेबाजी और चोंचलेबाजी के अलावा और कुछ नहीं समझती।

इस बार के विधानसभा चुनाव में पहले की अपेक्षा घोषणा पत्र की अधिक महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। इसलिए भी क्योंकि पहले घोषणा पत्र की अहमियत से भाजपा अनभिज्ञ थी लेकिन अब नहीं। इसी तरह कांग्रेस के समक्ष अब दुहरी चुनौती रहेगी कि वह पुन: ऐसी घोषणा पत्र प्रस्तुत करे कि एक बार फिर भाजपा के समक्ष उसकी कोई काट न रहे।

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