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पैदल रोड में दौड़ रही हैवी वाहन,आने जाने वाले दर्शनार्थियों को हो रही परेशानी, शहर के सड़को पर स्कूली बच्चों का जान खतरे में, प्रशासन को ज्ञापन सौंपने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं

गोवर्धन सिन्हा@डोंगरगढ़ । धर्मनगरी डोंगरगढ़ में दो नवरात्र पर्व के साथ रोजाना भारी वाहनों का दबाव बायपास सड़क निर्माण की सख्त जरूरत है। पैदल रोड में दौड़ रही हैवी वाहन,आने जाने वाले दर्शनार्थियों को हो रही परेशानी और शहर के सड़को पर स्कूली बच्चों की जान खतरे में शासन प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराने बार बार ज्ञापन दिया जा रहा है। लेकिन प्रसाशन मूक दर्शक बन कर बैठी है।

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे)के प्रदेश कोर कमेटी सदस्य व प्रदेश महासचिव नवीन अग्रवाल के नेतृत्व में प्रदेश उपाध्यक्ष डुमेंद्र लोधी जिला उपाध्यक्ष अनिल सिन्हा जिला महासचिव अमित कुमार सिन्हा बिट्टू अग्रवाल शेखर यादव सोम निषाद कुनाल डोंगरे गौतम सवांकर त्रियांस धमगेश्वर हिमांशु बांसोड़ दिवाकर वाल्दे प्रवीण वाल्दे ने अनुविभागीय अधिकारी को ज्ञापन सौपा। नवीन अग्रवाल ने बताया कि रेलवे क्रासिंग बंद होने के बाद कालेज से मंदिर रोड़ की सूरत ही बदल गई है। क्योंकि इस पैदल रोड़ पर भारी वाहन सरपट दौड़ रहे है। ऊपर से साल में दो बार नवरात्र पर्व का दबाव इसी रोड़ पर ही है। इसके बावजूद प्रशासन ने अब तक इसके कायाकल्प करने के लिए कोई प्रस्ताव ही तैयार नहीं किया है। ऐसे में हमेशा पब्लिक व वाहनों के दबाव में यह सड़क पूरे तरीके से बदहाल हो चुकी है।

बता दे कि रेलवे क्रासिंग बंद होने के बाद से वाहनों की आवाजाही सतबहिनी मंदिर रोड़ से मेला ग्राउंड, नीचे मंदिर, रणचंडी मंदिर होकर पुराना कालेज के पास निकल रही है। जबकि क्रासिंग बंद होने से पहले इस रोड़ का उपयोग दर्शनार्थी पैदल आवाजाही के लिए करते थे। लेकिन अब सकरे सड़क में बड़े बड़े भारी वाहन दौड़ रहे है। मां बम्लेश्वरी देवी के पैदल व टू तथा फोर व्हीलर से आने वालें दर्शनार्थी इसी रोड़ का हमेशा उपयोग करते है। भारी वाहन चलने से रोड़ की दुर्दशा हो गई है। इसके बाद भी अब तक सड़क की दशा को सुधारने के लिए पहल नहीं की गई है।

भारी वाहनों को रोकने के लिए लोहे के एंगल लगाएं गए थे लेकिन कुछ ही दिनों में इसे भी निकाल दिया गया। अब सड़क धूल के गुबार में है।

धर्मनगरी में जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट मुलाक़ात कार्यक्रम में शहर पहुंचे थे तब अफसरों ने अपनी नाकामी को छिपाने के लिए कालेज से मेला ग्राउंड तक पेंचवर्क मरम्मत कर लिपा पोती कर लाखों रुपये फूंक दिए। मरम्मत के नाम पर बजरी गिट्टी व डस्ट डाला गया। लेकिन कुछ दिन बाद सड़क अपनी पुरानी स्थिति में आ गई। फिर से धूल की गुबार और जगह जगह गड्ढे ही नजर आ रहे है। सड़क को नए सिरे से नवनिर्माण की जरूरत है। लेकिन अफसर व जनप्रतिनिधि ध्यान ही नहीं दे रहे।धूल ऐसी की पेड़ो के पत्ते के रंग भी बदल गए, घर से निकलना मुश्किल हो गया है।

भारी वाहनों के चलते इस रोड़ में हमेशा धूल का गुबार ही उड़ता है। सड़क किनारों में स्थित पेड़ो के हरे-भरे पत्तों के रंग भी बदल गए है। सभी पेड़ पौधे धूल से सराबोर ही नजर आ रहे है।भारी वाहनों के चलने से हमेशा धूल उड़ते रहता है जिसकी वजह से वहां रहने वालो को घर में हमेशा दरवाजा लगाकर रहना पड़ता है। दुकान खोलनें से पहले सड़क पानी छिड़कना पड़ता है ताकि कुछ हद तक धूल कम हो सके।

वही मंदिर रोड़ और हमेशा पब्लिक फिर भी प्रतिबंधित वाहनों की एंट्री-
नीचे मंदिर, रणचंडी मंदिर व कालेज आने जाने के लिए दर्शनार्थी व छात्र इसी रास्ते से पैदल आवाजाही करते है। लेकिन इसके बावजूद भारी वाहनों को रोकने के लिए कोई प्रबंध नहीं है। नीचे मंदिर पार्किंग में वाहन रखने के बाद दर्शनार्थी सड़क को पार करते है तब हादसे होने की संभावना बनी रहती है। इसके बाद भी भारी वाहनों को रोका नहीं जा रहा।

बायपास विकल्प लेकिन इस पर भी काम नहीं, प्रपोजल अटका पड़ा हुआ है शहर से बाहर भारी वाहनों के निकलने के लिए बायपास का विकल्प है। परन्तु बायपास के लिए प्रस्तावित रोड़ तय कर प्रपोजल दस महीनें पहले राज्य शासन के पीडब्ल्यूड़ी विभाग को भेज जा चुका है। लेकिन प्रपोजल पर अब तक कोई जवाब नहीं आया है। जबकि शहर में बढ़ते हैवी ट्रेफिक के दबाव को कम करने के लिए बायपास निर्माण की सख्त आवश्यकता है। ताकि हादसों पर भी लगाम लगा सकें।

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