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महंगी न पड़ जाए पायलट की अनदेखी

नेशन अलर्ट/www.nationalert.in
जयपुर। राजस्‍थान विधानसभा चुनाव के लिए कोर कमेटी, चुनाव अभियान समिति सहित कुल जमा 8 समितियों में सचिन पायलट जैसे दिग्‍गज नेता की अनदेखी किए जाने की खबर बड़ी तेजी से राजस्‍थान में फैल रही है। यह खबर आने वाले समय में कांग्रेस को महंगी भी पड़ सकती है।

राज्‍य विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने अभी हाल ही में 8 कमेटियां घोषित की हैं। इन 8 कमेटियों में किसी में भी पूर्व मुख्‍यमंत्री और राजस्‍थान के पूर्व कांग्रेस अध्‍यक्ष सचिन पायलट को अध्‍यक्ष पद का दायित्‍व नहीं सौंपा गया है। इस पर उनके समर्थकों सहित विरोधियों की भी नजर लगी हुई है कि अब सचिन पायलट क्‍या करेंगे।

जूनियर नेता हुए लाभान्वित
सचिन पायलट न केवल राजस्‍थान के लिए बल्कि कांग्रेस के लिए देशभर में एक बड़ा नाम है। गुर्जर मतदाताओं के बीच जब कभी पार्टी के प्रचार प्रसार की जिम्‍मेदारी सौंपने की बात आती है तो सबसे पहले सचिन पायलट का ही नाम कांग्रेसी नेताओं की जुबां पर आता है। उन्‍हीं सचिन पायलट को 8 समितियों में से किसी भी समिति के अध्‍यक्ष पद के दायित्‍व के लायक नहीं समझा गया।

सचिन से जूनियर रहे नेताओं को जिम्‍मेदारी सौंप दी गई। जैसे कि गोविंदराम मेघवाल जो कि राज्‍य में मंत्री हैं को कांग्रेस ने अपनी कैंपेन कमेटी का अध्‍यक्ष बना दिया। कोर, समन्‍वय, चुनाव अभियान, घोषणा पत्र, रणनीतिक, मीडिया एवं संचार, प्रचार एवं प्रकाशन सहित प्रोटोकॉल समिति में सचिन का नाम अध्‍यक्ष पद के लिए नहीं आया।

हालांकि कांग्रेस का यह दावा है कि अब राजस्‍थान में उसकी अंधरूनी लड़ाई सुलझ गई है। मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत के साथ पूर्व उप मुख्‍यमंत्री सचिन पायलट के रिश्‍तों में जो बर्फ जमी थी उसे हटा दिया गया है। अब गहलोत-पायलट मिलकर कांग्रेस के चुनाव अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं लेकिन समितियों के गठन के बाद ये दावे झूठे साबित होते हैं।

माना जा रहा है कि कहीं न कहीं अभी भी पार्टी के भीतर किसी न किसी तरह की गुटबाजी हावी है। तभी तो सचिन पायलट जैसे जिम्‍मेदार और प्रभावी नेता को कांग्रेस ने अपनी राजस्‍थान के लिए बनी कमेटियों के अध्‍यक्ष का दायित्‍व सौंपने से पीछे रखा है।

आने वाले दिनों में कांग्रेस का यह दांव उसके लिए उल्‍टा भी पड़ सकता है। गुर्जर सहित अन्‍य समाजों में लोकप्रिय सचिन के समर्थक यदि इसे अनदेखे तरीके से लेते रहे तो कांग्रेस को स्थिति संभालने में चुनाव के समय दिक्‍कत होगी।

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