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लगातार तेज बारिश से शिवनाथ की दिशा बदली,एनीकट निर्माण में बरती लापरवाही और अवैध रेत उत्खनन के चलते ढहा एनीकट

राजनांदगांव : जल संसाधन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते आज शिवनाथ नदी पर बना दर्री एनीकट बह गया यह एनीकट जीता जागता उदाहरण है लापरवाही और भ्रष्टाचार का लंबे समय तक लगातार शिवनाथ नदी पर हो रहे रेत के अवैध उत्खनन और विभागीय लापरवाही ने आज किसानों को वह मंजर दिखाया जिनसे उनकी रूह कांप गई सैकड़ों एकड़ की फसल पर आज संकट के बादल मंडराने लगे हैं इस एनीकट का हाल देखने के बाद सीधे राज्य शासन की ओर क्षेत्र की जनता अब कार्रवाई की आस लगाकर बैठ गई है।

लगातार हो रही बारिश ने शिवनाथ को उफान पर ला दिया है बारिश के चलते आसपास के क्षेत्र के नदी नाले उफान पर हैं वहीं दर्री एनीकट पर कहर बरस रहा है शिवनाथ के पानी ने दरी एनीकट को जड़ से उखाड़ दिया है पिछले कुछ दिनों से लगातार एनीकट के एक सिरे से कटाव की शिकायतें विभाग को मिल रही थी लेकिन विभागीय कार्रवाई शून्य रही इसके चलते आज किसानों को भयावह मंजर देखने को मिल रहा है तकरीबन 5 एकड़ की जमीन किसानों की एनीकट बहने से बाढ़ की चपेट में आ गई है वही खड़ी फसल को भी काफी नुकसान पहुंचा है मौके पर पहुंचे किसानों से चर्चा करने पर पब्लिक फर्स्ट को पता चला है कि किसानों ने लगातार एनीकट को लेकर के विभागीय अधिकारियों से शिकायत की फिर भी अधिकारियों ने शिकायत को अनसुना कर दिया जिसका परिणाम आज किसानों को भुगतना पड़ रहा है इस मामले को लेकर के भाजपा के नेताओं ने भी लगातार प्रशासनिक स्तर पर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराया फिर भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई नतीजा यह रहा कि आज एनीकट के पानी के बहाव में पूरा एनीकट बह गया और किसान देखते रह गए और अपने आप को ठगा सा महसूस करने लग गए हैं।

ऐसी रही लापरवाही

शिवनाथ नदी पर बने दर्री एनीकट के समीप शिवनाथ नदी ने अपना रास्ता ही बदल लिया है और एनीकट के समीप लगे खेतों में लगातार कटाव जारी है यह स्थिति और भी भयावह इसलिए हो चुकी है चूंकि बारिश के मौसम के बावजूद एनीकट के गेट ही नहीं खोले गए हैं. पिछले एक माह पूर्व भी इस जगह पर यही स्थिति थी जब नदी का पानी करोड़ों के एनीकट को नुकसान पहुंचते हुए एनीकट के बाहर से अपना रास्ता बनाकर बहना शुरू कर चुका था और इस स्थिति को देखते हुए अधिकारियों ने कोई सीख नहीं ली और मौके पर पानी कम होने के बाद बोरियों में रेत भरकर पानी को साधने की कोशिश में लगे रहे और बाढ़ की स्थिति एक बार फिर आने पर स्थिति भयावह हो गई है जबकि पानी कम होने की स्थिति में एनीकट का गेट खोल दिया जाता तो पूरा पानी गेट से निकल जाता और इतनी गंभीर स्थिति का सामना किसानों को नहीं करना पड़ता।

अवैध उत्खनन सबसे बड़ा कारण

बता दें कि शिवनाथ नदी के उद्गम स्थल के बाद से लगातार शिवनाथ नदी पर रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है अंबागढ़ चौकी पानाबरस देवरी ऐसे स्पॉट हैं जहां पर रेत का अवैध उत्खनन लगातार किया जा रहा है पानाबरस इलाके में तो लीज पर ली गई खदान के रकबे से कहीं ज्यादा जगह पर रेत का अवैध उत्खनन किया गया है इसके चलते बारिश का पानी लगातार एनीकट ऊपर दबाव बनाए हुए हैं इसका जीता जागता उदाहरण दर्री एनीकट के रूप में सामने आ रहा है तबाही का ऐसा मंजर किसानों को देखने को मिल रहा है जो आज तक इस इलाके में नहीं देखा गया अब शिवनाथ नदी पर खेती करने वाले सैकड़ों किसानों को चिंता सताने लगी है।

पहले भी वहां एप्रोच रोड

बीते दिनों से लगातार चल रही बारिश के चलते शिवनाथ नदी पर बने दर्री मटिया एनीकट का एप्रोच रोड पूरी तरह बह गया था लेकिन विभागीय अधिकारियों ने इस ओर बिलकुल भी गंभीरता नहीं दिखाई और अबकी बार का नुकसान पूर्व के नुकसान से कहीं अधिक हो गया है. जिसमें अनेक किसानों की खड़ी फसल के साथ जमीन बह गई है. इस मामले में प्रभावित किसानों ने चर्चा के दौरान अपनी पीड़ा बतायी है जबकि इनके अलाव भी और भी अनेक किसान प्रभावित हैं.

पूरी फसल हुई चौपट

लखन पटेल पिता फगनू – लगभग एक एकड़ की जमीन इस कटाव में बह गई है, जिसमें धान का फसल लगाया गया था. किसान ने शासन से अपने खेत का पटाव और मुआवजे की मांग की है.

कैसे चलेगी आजीविका

घनश्याम पटेल पिता तेमूक : अपने 35 डिस्मिल जमीन में सब्जी की फसल लेकर अपने परिवार का भरण पोषण करता हूं लेकिन इस वर्ष की बाढ़ के चलते फसल सहित पूरा खेत ही बह गया है और अब भरण पोषण की समस्या हो जायेगी. ऐसे में उनकी आजीविका कैसे चल पाएगी यह सबसे बड़ा प्रश्न बन गया है।

बच जाती किसानों की जमीन

महेन्द्र साहू पिता सखाराम : मेरा 25 डिसमिल खेत नदी के बाढ़ की चपेट में आया है और नदी किनारे वर्षों से मैं किसानी कर रहा हूँ लेकिन इसी वर्ष मेरा बड़ा नुकसान हुआ है यदि एनीकट का गेट खुला होता तो इस वर्ष भी सब सुरक्षित होते और किसानों की जमीन बच जाती.

किसानों ने की मुआवजे की मांग

हरिशंकर पिता रामगुलाल- 26 डिसमिल खेत में धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गया है और फसल के साथ पूरा खेत ही बह गया है. विभागीय लापरवाही की वजह से हुए नुकसान का सरकार को शीघ्र ही उचित मुआवजा देना चाहिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सरकार को कार्यवाही भी करनी चाहिए.

अधिकारी के अपने ही बोल

विभागीय लापरवाही का जीता जागता उदाहरण देखने के बाद भी अधिकारी किस तरीके से लीपापोती करते हैं यह भी जनता को जाना चाहिए बता दें कि जब एनीकट के इस मामले में पब्लिक फर्स्ट में जल संसाधन के जीडी रामटेके से चर्चा की तो उनका कहना था कि कटाव को लेकर के उनके पास पहले से जानकारी नहीं थी गड्ढे की वजह से पानी का प्रेशर बढ़ा और कटाव बढ़ गया उनका तो साफ तौर पर यह कहना है कि दो गेट पहले ही खोले गए थे लेकिन यहां पर समय रहते क्यों सभी गेटों को नहीं खोला गया और विभागीय प्लानिंग क्यों फेल हुई इस पर बात करते हुए उन्होंने चुप्पी साध ली है विभागीय इस लापरवाही पर पर्दा डालते हुए उनका साफ तौर पर कहना है कि गेट खुलने और बंद होने से इस घटना का कोई भी संबंध नहीं है जबकि भाजपा नेताओं और किसानों का सीधा आरोप विभागीय अधिकारियों पर ही है।

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