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विवादित डॉ. आदिले का एक और कारनामा, शासकीय नियम ताक पर रख बेटे को उच्च शिक्षा स्पॉन्सरशिप के लिए दिलाया अनापत्ति प्रमाण पत्र
डॉ. एसएल आदिले

रायपुर। एक जूनियर डॉक्टर जो रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में बस्तर जिले के जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में अपनी सेवाएं दे रहा है। मगर अचानक ही उसे जगदलपुर से दुर्ग के चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज में नियुक्त कर दिया जाता है। वह भी इसलिए की उसके पिता की रसूख ज्यादा है।

जी हां हम बात कर रहे हैं विवादित रहे छत्तीसगढ़ मेडिकल एजुकेशन के पूर्व डायरेक्टर डॉ. एसएल आदिले की। जिन्होंने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए अपने बेटे डॉ. मयंक दत्त को जगदलपुर मेडिकल कॉलेज से चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर करवा लिया। जबकि राज्य शासन के नियमानुसार उसे अनुसूचित क्षेत्र में बिना एवजीदार के पदस्थ नहीं करना था। इसमें राज्य शासन को जगदलपुर से दुर्ग करने की अनुशंसा संचालक चिकित्सा शिक्षा द्वारा की गई है। जो कि पद के दुरुपयोग का मामला है ।

इतना ही नहीं मेडिकल एजुकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमानुसार स्टेट स्पॉसर्ड तभी करता है जब कोई 2 वर्ष का प्रोबेशन पीरियड पूरा करने के साथ-साथ हायर स्टडीज़ के लिए 5 वर्ष की सेवा भी आवश्यक है।

पद और प्रभाव के दुरुपयोग का मामला यहीं खत्म नहीं होता। जूनियर रेजिडेंट द्वारा परिवीक्षा अवधि समाप्त नहीं की है उसे ज्वॉइन किए मात्र दो माह ही हुए हैं उसे गवर्नमेंट के तरफ से उच्च शिक्षा के लिए स्पॉन्सरशिप का अनापत्ति राज्यशासन द्वारा दे दिया गया। जिसकी अनुशंसा संचालक चिकित्सा शिक्षा द्वारा की गई है। जिसमें अनापत्ति प्रमाण पत्र भी मिल गया।

आपको बता दें कि इससे पहले भी वर्ष 2016 में सिम्स बिलासपुर में डीन के रूप में पद पर रहते हुए डॉ. आदिले पर पद के दुरुपयोग कर कुछ लोगो को नियुक्ति देने व भारी भ्रस्टाचार का प्रकरण पर जांच राज्यशासन स्तर पर चल रहा है। इस मामले की जांच की गई, मामला प्रथम दृष्टया सही पाए जाने पर उन्हें ससपेंड भी किया गया था। जिसके बाद उन्हें बिलासपुर से जगदलपुर के मेडिकल कॉलेज अटैच किया गया था।

गौरतलब है कि पूर्व DME डॉ आदिले द्वारा जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस में खुद की बेटी को पद का दुरूपयोग कर बैकडोर से प्रवेश दिलवाया था। जिसके कारण राज्य शासन ने उनपर अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई और सुप्रीम कोर्ट से उन्हें 2 लाख रुपये बतौर जुर्माना भरने का आदेश दिया गया था। इसके चलते उन्हें सस्पेंड किया गया और इन्हें संचालक पद से भी हटा दिया गया था।

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https://theruralpress.in/2022/09/26/another-act-of-the-controversial-dr-adile-keeping-the-government-rules-in-mind-got-the-son-a-no-objection-certificate-for-higher-education-sponsorship/