नीति आयोग के सीईओ परमेश्वरन अय्यर ने बुधवार को कहा कि देश में परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन कम करने में हरित परिवहन की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। शून्य फोरम की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में अय्यर ने कहा कि इलेक्टि्रक मोबिलिटी को बढ़ाने के लिए वित्तपोषण की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने इलेक्टि्रक वाहनों (ईवी) के वित्तपोषण से जुड़े जोखिमों को कम करने के तरीके खोजने की जरूरत पर भी जोर दिया।
नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि ग्रामीण भारत का तेजी से शहरीकरण हो रहा है। इस तरह छोटे शहरों में भी ईवी को बढ़ावा देने की जरूरत है। नीति आयोग और राकी माउंटेन इस्टिट्यूट (आरएमआइ) इंडिया की ओर से तैयार की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों और गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में ईवी वित्तपोषण बाजार का आकार बढ़ाने की पर्याप्त क्षमता है।
यह बाजार 2025 तक 40,000 करोड़ रुपये और 2030 तक बढ़कर 3.7 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि ईवी खरीदने के लिए बैंकों और एनबीएफसी द्वारा दिए जाने वाले कर्ज को आरबीआइ के प्राथमिकता-क्षेत्र ऋण (पीएसएल) दिशानिर्देशों में शामिल किया जाना चाहिए।
वाहन कलपुर्जा विनिर्माताओं के संगठन एसीएमए ने कहा है कि 2030 में देश में कुल बिक्री में इलेक्टि्रक दोपहिया-तिपहिया की बड़ी हिस्सेदारी होगी। एसीएम ने अनुमान जताया कि तब दोपहिया-तिपहिया की कुल बिक्री में इलेक्टि्रक की हिस्सेदारी क्रमश: 50 और 70 प्रतिशत होगी। संगठन ने अनुमान जताया कि 2030 में कुल नए वाहनों में इलेक्टि्रक यात्री वाहनों की 10 से 15 प्रतिशत और वाणिज्यिक वाहनों की 5-10 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।
अमिताभ कांत ने कहा कि भारत को अगले चार साल में शत-प्रतिशत इलेक्टि्रक दोपहिया और तिपहिया वाहनों का लक्ष्य रखना चाहिए। कांत ने कहा कि देश का ध्यान साझा, जुड़े हुए और बिजली चालित परिवहन पर होना चाहिए। वाहन डीलरों के संगठन फाडा के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में दो पहिया इलेक्टि्रक वाहनों की खुदरा बिक्री 2,31,338 इकाई रही, जो 2020-21 के 41,046 इकाई के आंकड़े की तुलना में पांच गुना अधिक है।