Get all latest Chhattisgarh Hindi News in one Place. अगर आप छत्तीसगढ़ के सभी न्यूज़ को एक ही जगह पर पढ़ना चाहते है तो www.timesofchhattisgarh.com की वेबसाइट खोलिए.

समाचार लोड हो रहा है, कृपया प्रतीक्षा करें...
Disclaimer : timesofchhattisgarh.com का इस लेख के प्रकाशक के साथ ना कोई संबंध है और ना ही कोई समर्थन.
हमारे वेबसाइट पोर्टल की सामग्री केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और किसी भी जानकारी की सटीकता, पर्याप्तता या पूर्णता की गारंटी नहीं देता है। किसी भी त्रुटि या चूक के लिए या किसी भी टिप्पणी, प्रतिक्रिया और विज्ञापनों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
सूचना देने में लापरवाही पर 85 लाख रुपये का जुर्माना लगा जनसूचना अधिकारियों पर राज्य सूचना आयुक्त की कार्यवाही

रायपुर, 11 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के आयुक्त श्री धनवेन्द्र जायसवाल ने  आवेदकों को समय पर सूचना देने में लापरवाही बरतने और सूचना का अधिकार अधिनियम का समुचित क्रियान्वयन नहीं किए जाने पर पिछले ढाई साल में 3 हजार 836 प्रकरणों में कुल 85 लाख 37 हजार रुपये से अधिक का अर्थदण्ड सम्बंधित जनसूचना अधिकारियों पर लगाया है। राज्य सूचना आयुक्त के कोर्ट ने मार्च 2021 से लेकर इस साल के सितम्बर माह के दौरान पारित आदेश में यह जुर्माना लगाया है।
इन जनसूचना अधिकारियों में संयुक्त कलेक्टर, तहसीलदार, सीईओ जनपद पंचायत, खंड शिक्षा अधिकारी, खनिज अधिकारी, महिला एवं बाल विकास अधिकारी, मेडिकल कॉलेज के जनसूचना अधिकारी एवं ग्राम पंचायतों के सचिव सहित अन्य शामिल है। इसी तरह प्रथम अपीलीय अधिकारियों के विरुद्ध आयोग के द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा भी की जा रही है।
छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में ऑनलाइन सुनवाई की व्यवस्था
नया रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत द्वितीय अपील और शिकायतों की सुनवाई के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की है। अपीलार्थी ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं। सभी जिलों के कलेक्टर कार्यालय स्थित एनआईसी के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम से सुनवाई की जाती है। इससे आवेदकों को रायपुर तक आने की जरूरत नहीं होती है। राज्य सूचना आयोग ने जून 2023 में मोबाइल से भी सुनवाई की शुरुआत की है। इसके माध्यम से अपीलार्थी, जनसूचना अधिकारी अपने मोबाइल से जुड़कर द्वितीय अपील की सुनवाई में शामिल हो रहे हैं।

12 अक्टूबर को लागू हुआ था सूचना का अधिकार अधिनियम

सूचना का अधिकार अधिनियम 12 अक्टूबर 2005 से देश में लागू हुआ था। इसका उद्देश्य नागरिकों को जानने का अधिकार दिलाना, सरकार के कार्यकलापों में पारदर्शिता और जवाबदेही का संवर्धन करना, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना और लोकतंत्र को वास्तविक रूप से जनता के लिए काम करने के लिए तैयार करना है। आम आदमी सरकारी दफ्तर और पर्याप्त वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों के कार्यालय से सूचना ले सकते हैं। अधिनियम के तहत जन सूचना अधिकारियों को 30 दिनों के भीतर आवेदकों को जानकारी देनी होती है। यदि वह जानकारी देने में असफल रहते हैं या जानकारी देने के कार्य में लापरवाही करते हैं तो उनके विरुद्ध प्रथम अपीलीय अधिकारी के यहां सुनवाई होती है, जहां 30 दिवस या अधिकतम 45 दिन के भीतर आवेदन का निराकरण किया जाता है। इस स्तर पर भी जब आवेदक को जानकारी नहीं मिल पाती है या अधूरी जानकारी मिलती है तो द्वितीय अपील अथवा शिकायत छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में की जाती है। जहां राज्य सूचना आयुक्त अधिनियम के प्रावधानों के तहत अर्ध न्यायिक प्रणाली के तहत आवेदनों का निपटारा करते हैं और दोषी जन सूचना अधिकारियों पर जुर्माना लगाने के साथ ही प्रथम अपीलीय अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा की जाती है।

छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में ऑनलाइन सुनवाई की व्यवस्था नया रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत द्वितीय अपील और शिकायतों की सुनवाई के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की है। अपीलार्थी ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं। सभी जिलों के कलेक्टर कार्यालय स्थित एनआईसी के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम से सुनवाई की जाती है। इससे आवेदकों को रायपुर तक आने की जरूरत नहीं होती है। राज्य सूचना आयोग ने जून 2023 में मोबाइल से भी सुनवाई की शुरुआत की है। इसके माध्यम से अपीलार्थी, जनसूचना अधिकारी अपने मोबाइल से जुड़कर द्वितीय अपील की सुनवाई में शामिल हो रहे हैं।

The post सूचना देने में लापरवाही पर 85 लाख रुपये का जुर्माना लगा जनसूचना अधिकारियों पर राज्य सूचना आयुक्त की कार्यवाही appeared first on .

https://www.kadwaghut.com/?p=109451