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नई दिल्ली। केंद्र के शासन वाले जम्मे कश्मीर के उप राज्यपाल व मुख्य सचिव के खिलाफ राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) में शिकायत दर्ज करवाई गई है। शिकायतकर्ता छोटा मोटा आदमी नहीं बल्कि अखिल भारतीय सेवा का अफसर है। अपने कथित उत्पीड़न और अपमान से पीडि़त होकर उन्होंने आयोग का दरवाजा खटखटाया है।
जम्मू कश्मीर में उप राज्यपाल के पद पर मनोज सिन्हा पदस्थ हैं। मुख्य सचिव का दायित्व 1988 बैच के आईएएस अफसर अरूण कुमार मेहता संभाल रहे हैं। इन दोनों के खिलाफ एजीएमयूटी कार्डर के 1992 बैच के आईएएस अशोक कुमार परमार ने मोर्चा खोल दिया है।
बेवजह प्रताड़ना और तबादला
परमार की शिकायत है कि उन्हें बेवजह प्रताडि़त किया जा रहा है। बार बार उन्हें स्थानांतरित कर परेशान करने का क्रम जारी है। परमार वही व्यक्ति हैं जिन्होंने जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में हुई गलतियों को उजागर किया था।
उनकी शिकायत है कि गलतियों को उजागर करने के कारण उन्हें प्रताडि़त किया जा रहा है। परमार के कहे मुताबिक चूंकि वह अनुसूचित जाति के हैं इसकारण बार बार उनका स्थानांतरण कर मानसिक तौर पर प्रताड़ना का क्रम जारी है।
ब्यूरो ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेस के अध्यक्ष के तौर पर फिलहाल परमार नियुक्त हैं। 1992 बैच के आईएएस परमार को जल शक्ति विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में 4 मई 2020 को नियुक्त किया गया था। अभी 17 अगस्त को उन्होंने उप राज्यपाल व मुख्य सचिव के खिलाफ शिकायत की है।
बताया जाता है कि परमार को 6 जून 2022 को उप राज्यपाल ने बैठक कक्ष से बाहर कर दिया था। इस बैठक में जम्मू कश्मीर के सभी प्रशासनिक सचिव शामिल थे। मुख्य सचिव ने इस साल 25 जुलाई को सचिव समिति की बैठक से भी आईएएस परमार को बाहर कर दिया था। परमार कहते हैं कि दोनों मर्तबा उनकी कोई गलती नहीं थी।
अब जबकि वह आयोग पहुंच गए हैं तो देखना होगा कि आईएएस अफसर की इस शिकायत को कितनी गंभीरता से लिया जाता है। चूंकि मामला उप राज्यपाल और मुख्य सचिव से जुड़ा हुआ है इसलिए यह कश्मीर से दिल्ली तक चर्चा का विषय हो गया है।