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Atiq-Ashraf Murder Case: सुप्रीम कोर्ट में अतीक-अशरफ हत्याकांड की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति बनाने की मांग, 24 अप्रैल को होगी सुनवाई

Atiq-Ashraf Murder Case: सुप्रीम कोर्ट प्रयागराज के बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी और गैंस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में 24 अप्रैल को सुनवाई करेगा। इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश में 2017 से अब तक हुए 183 एनकाउंटर की जांच की मांग पर भी शीर्ष अदालत सुनवाई करेगी। प्रयागराज में काल्विन अस्पताल ले जाते समय अतीक व अशरफ की तीन शूटरों लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्या ने 15 अप्रैल की देर रात को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

पूर्व जज की निगरानी में कमेटी बनाने की मांग

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में शीर्ष अदालत के पूर्व जज की निगरानी में स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति बनाने की मांग की गई है। विशाल तिवारी नाम के वकील ने यह याचिका दायर की है। इसके साथ ही, पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने भी हत्याकांड की सीबीआई से जांच कराने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है। उनका कहना है कि मामले की तह तक जाने के लिए सीबीआई से जांच कराना बहुत जरूरी है।

हाालंकि, मौके पर ही तीनों ने सरेंडर कर दिया। राज्य सरकार अतीक हत्याकांड को लेकर बेहद गंभीर है। प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर ने हत्याकांड की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन के बाद कल तीन सदस्यीय SIT का गठन किया है। डीजीपी आरके विश्वर्मा ने इस जांच दल के पर्यवेक्षण के लिए एडीजी भानु भाष्कर के नेतृत्व में भी तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है। तीनों शूटरों लवलेश, सनी और अरुण मौर्या को कल नैनी से प्रतापगढ़ जेल भेज दिया गया। नैनी सेंट्रल जेल में अतीक का बेटा अली और उसके गुर्गे बंद हैं, इसलिए तीनों शूटरों को प्रतापगढ़ भेजा गया है।

याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) के बयान के मुताबिक 2017 के बाद से हुई 183 मुठभेड़ और अतीक तथा अशरफ की पुलिस हिरासत में हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के किसी पूर्व जज की अगुवाई में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति का गठन कर कानून के शासन की रक्षा के लिए निर्देश जारी करें।

अतीक की हत्या का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है कि पुलिस का ऐसा कृत्य लोकतंत्र तथा कानून के शासन के लिए गंभीर खतरा है तथा यह पुलिसिया राज की ओर ले जाता है। याचिका में कहा गया है कि लोकतांत्रिक समाज में पुलिस को अंतिम निर्णय सुनाने का जरिया या दंड देने वाला प्राधिकरण बनने नहीं दिया जा सकता। दंड देने का अधिकार केवल न्यायपालिका को है।

https://npg.news/tranding-news/supreme-court-mein-atiq-ashraf-hatyakand-kee-jaanch-ke-liye-visheshagy-samiti-banaane-kie-mang-24-april-ko-hogi-sunavayee-1240378