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Chhattisgarh Assembly Election 2023 बस्तर की बात ही अलग : कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा को जिताती रही बस्तर की जनता, पहली बार 1951 से अब तक के 15 चुनावों का लेखा-जोखा

Chhattisgarh Assembly Election 2023

मनोज व्यास @ NPG.News

रायपुर. छत्तीसगढ़ में सत्ता का रास्ता बस्तर से होकर गुजरता है. सियासी गलियारे में यह एक चर्चित मुहावरा है. 1951 से लेकर अब तक बस्तर संभाग या कहें बस्तर क्षेत्र की जो सीटें हैं, वहां अप्रत्याशित परिणाम आते रहे हैं. आदिवासी बहुल बस्तर भले ही बरसों तक विकास से अछूता रहा, लेकिन देश में सियासी लहर का असर हर चुनाव में दिखा है.

यही वजह है कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी आज जब बस्तर में थीं तो उन्होंने अपने परनाना से लेकर दादी और पिता के साथ बस्तर से जुड़ी पुरानी यादों को दोहराया. सीएम भूपेश बघेल और पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भी सभा में मौजूद लोगों को बताया कि प्रियंका गांधी-नेहरू परिवार से हैं. पंडित जवाहर लाल नेहरू यहां आ चुके हैं. बस्तर में आदिवासी सम्मेलन में शामिल हो चुके हैं. आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने आदिवासियों को पट्टे बांटने की शुरुआत की थी. आपात काल के बाद जब 1977 में चुनाव हुए थे, तब बस्तर की जनता ने जनता पार्टी को 10 सीटें दी थीं. वहीं, इंदिरा गांधी के निधन के बाद जब 1985 में चुनाव हुए थे, तब 12 में 11 सीटें कांग्रेस को दी थी.

1951 से लेकर अब तक 15 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. सीपी एंड बरार, फिर मध्यप्रदेश और अलग छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद बस्तर क्षेत्र की सीटों में कई बार बदलाव देखने को मिला. बस्तर क्षेत्र में पहले 8 सीटें थीं. दो चुनाव हुए, फिर सीटें बढ़कर 10 हो गईं. दो चुनाव फिर हुए और सीटों की संख्या 11 हुई. इसके बाद से लेकर अब तक बस्तर क्षेत्र में कुल 12 सीटें हैं. भानपुरी, बकावंड और केशलूर जैसी सीटें भी यहां रहीं, जो परिसीमन के बाद खत्म हो गई. सियासी पंडितों का मानना है कि बस्तर में रहने वाले आदिवासी भले ही भोले-भाले हैं, लेकिन राजनीतिक रूप से काफी जागरूक हैं. यही वजह है कि एंटी इन्कमबेंसी के खिलाफ एकतरफा वोट देते रहे हैं.

बस्तर में ये नाम हमेशा चर्चा में

बस्तर क्षेत्र से 1951 से लेकर अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं, उसमें कुछ नाम ऐसे हैं, जो हमेशा चर्चा में रहेंगे. इसमें मानकुराम सोढी, बलिराम कश्यप, राजेंद्र पामभोई, झितरूराम बघेल और अब कवासी लखमा भी चर्चित हैं. सोढी चार बार विधायक रहे. पहले 1962 में, फिर 1972, 1977 और 1980 में चुने गए. बलिराम कश्यप पांच बार विधायक रहे. वे जनसंघ, जनता पार्टी और भाजपा में रहे. पहली बार 1972 में चुने गए. इसके बाद 1977, 1980, 1985 और 1990 में विधायक बने. झितरूराम बघेल 1972, 1985, 1993 और 1998 में विधायक बने. राजेंद्र पामभोई 1990, 1998 और 2003 में विधायक चुने गए. बलिराम के बाद लखमा ऐसे विधायक हैं, जो 1998 से लेकर अब तक लगातार पांच बार चुने गए हैं.

पहली महिला विधायक थीं मंगली

बस्तर में 1977 में केशकाल सीट से मंगली झाड़ूराम पहली महिला विधायक चुनी गईं. वे जनता पार्टी की विधायक थीं. इसके बाद 1980 में गंगा पोटाई विधायक बनीं. 1985 में फिर गंगा पोटाई और श्यामा बाई ध्रुव विधायक बनीं. 1990 में श्यामा ध्रुव, फूलोदेवी नेताम के अलावा प्रतिभा शाह विधायक बनीं. 2003 में लता उसेंडी कोंडागांव से विधायक बनीं. इसके बाद 2008 में फिर चुनाव जीतीं और महिला एवं बाल विकास मंत्री बनीं. 2013 में बस्तर संभाग से सिर्फ देवती कर्मा जीतीं. 2018 में वे हार गईं, लेकिन उपचुनाव में फिर जीतकर विधानसभा पहुंचीं.

पहले पढ़ें, बस्तर पर क्या है एक्सपर्ट की राय…

पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर डॉ. अजय चंद्राकर के मुताबिक स्वतंत्रता के बाद बस्तर में निर्दलीयों ज्यादा जीते, क्योंकि उस समय पृथक बस्तर की मांग की लहर थी. बस्तर में राजतंत्र भी प्रभावी था. 1962 में महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की हत्या हो गई. उस दौरान न्यायाधीश पांडे, तत्कालीन एसपी और डीएम खुराना व अकबर के नामों का भी उल्लेख आता है. कलेक्टर-एसपी ने शासन को गलत जानकारी भेजी थी कि बस्तर को नागालैंड-मिजोरम बनाना चाहते हैं, जबकि ऐसा नहीं था. बस्तर की अस्मिता एक बड़ा मुद्दा था.

बस्तर भले विकास के नाम पर पिछड़ा हुआ था, लेकिन देश के राजनीतिक माहौल का असर वहां हर बार दिखा है. आपातकाल के बाद जनता पार्टी के पक्ष में जाने की बात हो या इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस को जिताने की बात, हर बार बस्तर के मतदाताओं ने जागरूकता दिखाई. हालांकि कोई एक ट्रेंड नहीं रहा.

नक्सल समस्या से पहले भी बस्तर में कई तरह के उथल-पुथल सामने आए. नक्सल समस्या के दौरान पहले तत्कालीन सरकार पर भरोसा जताया, फिर एकतरफा विरोध भी दिखा. आरएसएस के कामकाज का असर भी बस्तर में दिखा है. अब 2023 के चुनाव के संबंध में बात करें तो विधायकों के परफॉर्मेंस और बस्तर के लिए जो घोषणाएं होंगी, उस पर सब कुछ तय होगा. आगे पढ़ें, 1951 से लेकर 2018 तक का लेखा-जोखा…

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018

अंतागढ़ – अनूप नाग, कांग्रेस

भानुप्रतापपुर – मनोज मंडावी, कांग्रेस (उपचुनाव में सावित्री मंडावी)

कांकेर – शिशुपाल सोरी, कांग्रेस

केशकाल – संतराम नेताम, कांग्रेस

कोंडागांव – मोहन मरकाम, कांग्रेस

नारायणपुर – चंदन कश्यप, कांग्रेस

बस्तर – लखेश्वर बघेल, कांग्रेस

जगदलपुर – रेखचंद जैन, कांग्रेस

चित्रकोट – दीपक बैज, कांग्रेस (उपचुनाव में राजमन बेंजाम)

दंतेवाड़ा – भीमा मंडावी, भाजपा (उपचुनाव में देवती कर्मा, कांग्रेस)

बीजापुर – विक्रम मंडावी, कांग्रेस

कोंटा – कवासी लखमा, कांग्रेस

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2013

अंतागढ़ – विक्रम उसेंडी, भाजपा

भानुप्रतापपुर – मनोज मंडावी, कांग्रेस

कांकेर – शंकर ध्रुवा, कांग्रेस

केशकाल – संतराम नेताम, कांग्रेस

कोंडागांव – मोहन मरकाम, कांग्रेस

नारायणपुर – केदार कश्यप, भाजपा

बस्तर – लखेश्वर बघेल, कांग्रेस

जगदलपुर – संतोष बाफना, भाजपा

चित्रकोट – दीपक बैज, कांग्रेस

दंतेवाड़ा – देवती कर्मा, कांग्रेस

बीजापुर – महेश गागड़ा, भाजपा

कोंटा – कवासी लखमा, कांग्रेस

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2008

अंतागढ़ – विक्रम उसेंडी, भाजपा

भानुप्रतापपुर – ब्रह्मानंद नेताम, भाजपा

कांकेर – सुमित्रा मारकोले, भाजपा

केशकाल – सेवकराम नेताम, भाजपा

कोंडागांव – लता उसेंडी, भाजपा

नारायणपुर – केदार कश्यप, भाजपा

बस्तर – डॉ. सुभाऊ कश्यप, भाजपा

जगदलपुर – संतोष बाफना, भाजपा

चित्रकोट – बैदूराम कश्यप, भाजपा

दंतेवाड़ा – भीमा मंडावी, भाजपा

बीजापुर – महेश गागड़ा, भाजपा

कोंटा – कवासी लखमा, कांग्रेस

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2003

भानुप्रतापपुर – देवलाल दुग्गा, भाजपा

कांकेर – अघन सिंह ठाकुर, भाजपा

नारायणपुर – विक्रम उसेंडी, भाजपा

केशकाल – महेश बघेल, भाजपा

कोंडागांव – लता उसेंडी, भाजपा

भानपुरी – केदार कश्यप, भाजपा

जगदलपुर – डॉ. सुभाऊ कश्यप, भाजपा

केशलूर – बैदूराम कश्यप, भाजपा

चित्रकोट – लच्छूराम कश्यप, भाजपा

दंतेवाड़ा – महेंद्र कर्मा, कांग्रेस

कोंटा – कवासी लखमा, कांग्रेस

बीजापुर – राजेंद्र पामभोई, कांग्रेस

विधानसभा चुनाव 1998

भानुप्रतापपुर – मनोज सिंह मंडावी, कांग्रेस

कांकेर – श्यामा ध्रुव, भाजपा

केशकाल – फूलो देवी नेताम, कांग्रेस

कोंडागांव – शंकर सोढी, कांग्रेस

भानपुरी – अंतूराम बघेल, कांग्रेस

जगदलपुर – झितरूराम बघेल, कांग्रेस

केशलूर – भुरसुराम नाग, कांग्रेस

चित्रकोट – प्रतिभा शाह, कांग्रेस

दंतेवाड़ा – महेंद्र कर्मा, कांग्रेस

कोंटा – कवासी लखमा, कांग्रेस

बीजापुर – राजेंद्र पामभोई, कांग्रेस

नारायणपुर – मंतूराम पवार, कांग्रेस

विधानसभा चुनाव 1993

भानुप्रतापपुर – देवलाल दुग्गा, भाजपा

कांकेर – शिव नेताम, कांग्रेस

केशकाल – महेश बघेल, भाजपा

कोंडागांव – शंकर सोढी, कांग्रेस

भानपुरी – अंतूराम बघेल, कांग्रेस

जगदलपुर – झितरूराम बघेल, कांग्रेस

केशलूर – मानुराम कच्छ, कांग्रेस

चित्रकोट – धनीराम पुजारी, भाजपा

दंतेवाड़ा – नंदाराम सोरी, सीपीआई

कोंटा – मनीष कुंजाम, सीपीआई

बीजापुर – राजाराम तोड़ेम, भाजपा

नारायणपुर – विक्रम सिंह उसेंडी, भाजपा

विधानसभा चुनाव 1990

भानुप्रतापपुर – झाड़ूराम रावटे, निर्दलीय

कांकेर – अघन सिंह ठाकुर, भाजपा

केशकाल – कृष्णकुमार ध्रुव, भाजपा

कोंडागांव – मंगलराम उसेंडी, भाजपा

भानपुरी – बलिराम कश्यप, भाजपा

जगदलपुर – दिनेश कश्यप, भाजपा

केशलूर – संपत सिंह भंडारी, भाजपा

चित्रकोट – धनीराम पुजारी, भाजपा

दंतेवाड़ा – बरसा दुलाराम, सीपीआई

कोंटा – मनीष कुमार, सीपीआई

बीजापुर – राजेंद्र पामभोई, कांग्रेस

नारायणपुर – शंभूनाथ नायक, भाजपा

विधानसभा चुनाव 1985

भानुप्रतापपुर – गंगा पोटाई, कांग्रेस

कांकेर – श्यामा बाई ध्रुव, कांग्रेस

केशकाल – शिव नेताम, कांग्रेस

कोंडागांव – सुखलाल मंडावी, कांग्रेस

भानपुरी – बलिराम कश्यप, भाजपा

जगदलपुर – झितरूराम बघेल, कांग्रेस

केशलूर – भरसूराम नाग, कांग्रेस

चित्रकोट – एके तुकाराम नाग, कांग्रेस

दंतेवाड़ा – लक्ष्मण कर्मा, कांग्रेस

कोंटा – माडवी हंडाराम, कांग्रेस

बीजापुर – शिशुपाल सिंह, कांग्रेस

नारायणपुर – बद्रीनाथ बघेल, कांग्रेस

विधानसभा चुनाव 1980

भानुप्रतापपुर – गंगा पोटाई, कांग्रेस (आई)

कांकेर – आत्माराम ध्रुव, निर्दलीय

केशकाल – लंबोदर बलियार, कांग्रेस (आई)

कोंडागांव – मानकुराम सोढी, कांग्रेस (आई)

भानपुरी – बलिराम कश्यप, भाजपा

जगदलपुर – भुरसुराम नाग, कांग्रेस (आई)

केशलूर – जोगा हड़मा, भाजपा

चित्रकोट – लखन जयसिंह, भाजपा

दंतेवाड़ा – महेंद्र कर्मा, सीपीआई

कोंटा – जोगिया मुका, निर्दलीय

बीजापुर – महादेव राना, कांग्रेस (आई)

नारायणपुर – शंभुनाथ नायक, जनता पार्टी (जेपी)

विधानसभा चुनाव 1977

भानुप्रतापपुर – प्यारेलाल सिंह, जनता पार्टी

कांकेर – हरिशंकर रामनाथ, जनता पार्टी

केशकाल – मंगली झाड़ूराम, कांग्रेस

कोंडगांव – मानकुराम सोढी, कांग्रेस

भानपुरी – बलिराम कश्यप, जनता पार्टी

जगदलपुर – बिरेंद्र पांडेय, जनता पार्टी

केशलूर – जोगा हड़मा, जनता पार्टी

चित्रकोट – लखन जयसिंह, जनता पार्टी

दंतेवाड़ा – सुकुलधर भवानी, जनता पार्टी

कोंटा – कोराम गोपाल किस्टैया, जनता पार्टी

बीजापुर – महादेव आयतूराम, जनता पार्टी

नारायणपुर – गदरूराम सोरी, जनता पार्टी

विधानसभा चुनाव 1972

भानुप्रतापपुर – सत्यनारायण सिंह, कांग्रेस

कांकेर – विश्राम धोंगाई, कांग्रेस

केशकाल – गंगाराम राणा, कांग्रेस

कोंडागांव – मानकुराम सोढी, कांग्रेस

बकावंड – झितरूराम, कांग्रेस

जगदलपुर – बलिराम कश्यप, भारतीय जनसंघ

चित्रकोट – रामा कोंडा, कांग्रेस

कोंटा – बेट्टी हरमा, भारतीय जनसंघ

दंतेवाड़ा – लक्ष्मण कर्मा, कांग्रेस

बीजापुर – किस्टैया पपैया, कांग्रेस

नारायणपुर – रतिराम, कांग्रेस

विधानसभा चुनाव 1967

भानुप्रतापपुर – जे. हातोई, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी

कांकेर – बी. धोंगाई, भारतीय जनसंघ

कोंडागांव – एम. लच्छूराम, निर्दलीय

बकावंड – बी. महादेव, निर्दलीय

जगदलपुर – डी. कोसा, भारतीय जनसंघ

चित्रकोट – एम. गंगा, संघटा सोशलिस्ट पार्टी

कोंटा – धनसाय, कांग्रेस

दंतेवाड़ा – आर. बोटी, निर्दलीय

बीजापुर – डीएसके शाह, निर्दलीय

नारायणपुर – बी. जयदेव, निर्दलीय

विधानसभा चुनाव 1962

कांकेर – भानुप्रताप देव, निर्दलीय

केशकाल – मानकुराम सोढी, निर्दलीय

भानपुरी – मंगल सिंह, निर्दलीय

जगदलपुर – चैतू माहरा, निर्दलीय

चित्रकोट – पकलू जोगा, निर्दलीय

कोंटा – बेट्टी जोगी हड़मा, निर्दलीय

दंतेवाड़ा – लच्छू, निर्दलीय

बीजापुर – हीरा शाह, कांग्रेस

नारायणपुर – राम भरोसा, निर्दलीय

भानुप्रतापपुर – राम प्रसाद, निर्दलीय

विधानसभा चुनाव 1957

बीजापुर – बीआर पामभोई, कांग्रेस

दंतेवाड़ा – शिवराम, कांग्रेस

कोंटा – सोयम जोगा, कांग्रेस

चित्रकोट – सुखड़ू, कांग्रेस

जगदलपुर – 1. महाराजा प्रवीर चंद्र देव, 2. डेरहा प्रसाद, कांग्रेस

नारायणपुर – रामेश्वर, कांग्रेस

केशकाल – सरदुराम, कांग्रेस

कांकेर – 1. प्रतिभा देवी 2. बिसराम, कांग्रेस

विधानसभा चुनाव 1951

दंतेवाड़ा – बोदा, निर्दलीय

बीजापुर – हीरा शा, कांग्रेस

सुकमा – पीलू, निर्दलीय

चित्रकोट – डोरा, निर्दलीय

जगदलपुर – 1. डूमर 2. विद्यानाथ निर्दलीय

केशकाल – राजमन, निर्दलीय

नारायणपुर – रामेश्वर, कांग्रेस

कांकेर – 1. रतन सिंह 2. महाराजाधिराज बीपी देव, निर्दलीय

सीटें और साल दर साल वोटरों का रुझान

1951 – 8 सीटें – 6 निर्दलीय, 2 कांग्रेस

1957 – 8 सीटें – 8 कांग्रेस

1962 – 10 सीटें – 9 निर्दलीय, एक कांग्रेस

1967 – 10 सीटें – 5 निर्दलीय, 2 भारतीय जनसंघ, एक कांग्रेस, एक PSP, एक SSP

1972 – 11 सीटें – 9 कांग्रेस, 2 भारतीय जनसंघ

1977 – 12 सीटें – 10 जनता पार्टी, 2 कांग्रेस

1980 – 12 सीटें – 5 कांग्रेस, 3 भाजपा, 2 निर्दलीय, एक जनता पार्टी (जेपी), एक सीपीआई

1985 – 12 सीटें – 11 कांग्रेस, 1 भाजपा

1990 – 12 सीटें – 8 भाजपा, 2 सीपीआई, एक कांग्रेस, एक निर्दलीय

1993 – 12 सीटें – 5 भाजपा, 5 कांग्रेस, दो सीपीआई

1998 – 12 सीटें – 11 कांग्रेस, एक भाजपा

2003 – 12 सीटें – 9 भाजपा, 3 कांग्रेस

2008 – 12 सीटें – 11 भाजपा, एक कांग्रेस

2013 – 12 सीटें – 8 भाजपा, 4 कांग्रेस

2018 – 12 सीटें – 11 कांग्रेस, एक भाजपा

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