NPG DESK I नवरात्रि का नवां दिन मां सिद्धिदात्री का है जिनकी आराधना से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है,उसे बुराई से लडऩे की शक्ति मिलती है। मां सिद्धिदात्री की आराधना से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कमल के आसान पर विराजमान मां सिद्धिदात्री के हाथों में कमल, शंख गदा, सुदर्शन चक्र है जो हमें बुरा आचरण छोड़ सदकर्म का मार्ग दिखाता है। इस दिन मां की आराधना करने से भक्तों को यश, बल और धन की प्राप्ति होती है।
नौवें व अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना से सिद्धियां प्राप्त होती हैं। देवी सिद्धिदात्री की उपासना से केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव से मुक्ति होती है। अगर कुंडली में केतु नीच का हो या केतु की चंद्रमा से युति हो या केतु मिथुन अथवा कन्या राशि में हो षष्ट भाव में स्थित होकर नीच का एवं पीड़ित हो, उन्हें देवी सिद्धिदात्री सर्वश्रेष्ठ फल देती हैं।
मां सिद्धिदात्री से जुड़ी मान्यता क्या है
भगवान शिव ने भी इसी देवी की कृपा से तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। देवी की पूजा नौंवे दिन की जाती है। ये देवी सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं। उपासक या भक्त पर इनकी कृपा से कठिन से कठिन कार्य भी चुटकी में संभव हो जाते हैं। हिमाचल के नंदापर्वत पर इनका प्रसिद्ध तीर्थ है। अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व आठ सिद्धियां होती हैं। इसलिए इस देवी की सच्चे मन से विधि विधान से उपासना-आराधना करने से ये सभी सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं।
मां सिद्धिदात्री के नौवें रूप का स्वरुप
देवी के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा और बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है। इनका वाहन सिंह है और यह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। विधि-विधान से नौंवे दिन इस देवी की उपासना करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ये देवी का अंतिम रूप हैं। इनकी साधना करने से लौकिक और परलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।
मां के चरणों में शरणागत होकर हमें निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उपासना करना चाहिए। इस देवी का स्मरण, ध्यान, पूजन हमें अमृत पद की ओर ले जाते हैं। इस तरह नवरात्र के नवें दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना करने वाले भक्तों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की होती है। सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का भी स्वरूप कहा जाता है जो श्वेत वस्त्र धारण किए भक्तों का ज्ञान देती है।
मां सिद्धिदात्री का ध्यान मंत्र
सिद्धगधर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
इस दिन मां सिद्धदात्रि को हलवा पूड़ी का भोग लगाकर हवन करना चाहिए। इससे माता रानी की पा सदैव बनी रहती है।